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क्‍या आप चाहते हैं जीवन में ऑलराउंडर बनना… तो यह करें

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हम जीवन में सक्‍सेसफुल हों या स्‍ट्रगल कर रहे हों , स्‍टूडेंट हों या प्रोफेशनल , बिजनेसमैन हों या जॉब में … हम सभी जीवन में एक चीज जरूर चाहते हैं… वह है कुछ एक्‍स्‍ट्रा। मतबल हम हमेशा अपनी लाइफ को ऑर्डिनरी से एक्‍स्‍ट्रा ऑर्डिनरी बनाना चाहते हैं। हम ऑलराउंडर  बनना चाहते हैं क्‍योंकि क्रिकेट हो या लाइफ ऑलराउंडर  की वैल्‍यू हमेशा दूसरों से अधिक होती है। अगर आप भी कुछ ऐसा चाहते हैं तो इसका बस एक छोटा सा फंडा है , जब हम लाइफ से कुछ एक्‍स्‍ट्रा चाहते हैं , उससे पहले हमें कुछ एक्‍स्‍ट्रा देना पड़ता है। अपनी लाइफ के लक्ष्‍यों के लिए , अपनी इच्‍छाओं को पूरा करने के लिए या अपने रिश्‍तों को मजबूत करने के लिए बस थोड़े से एक्‍स्‍ट्रा एफर्ट दे दीजिए और फिर आप लाइफ में बन जाएंगे ऑलराउंडर। लाइफ में ऑलराउंडर बनने के लिए सबसे जरूरी है प्रायोरिटी सेट करना। जैसे आप स्‍टूडेंट हैं तो आपकी पहली प्राथमिकता है पढ़ना , अगर बिजनसमैन हैं तो व्‍यापार पर ध्‍यान देना , अगर जॉब में हैं तो ऑफिस की जिम्‍मेदारियों को पूरा करना और अगर आर्टिस्‍ट हैं तो अपने आर्ट की प्रैक्टिस करना लेकिन इन सबके बीच एक ओर चीज महत्‍व

लाइफ में बैकअप देता है स्नेह का अटूट रिश्ता

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  जिस तरह मां हमारी पहली गुरु होती है उसी तरह भाई-बहन हमारे पहले दोस्त। बहन जो भाई को मम्मी-पापा की डांट से बचाती है तो भाई जो बहन की समस्या का समाधान बन जाता है। जब भाई हंसता हैं तो बहन खिल जाती है और जब बहन रोती है तो भाई बहलाता है। असल में स्नेह के धागे से बना यह अटूट रिश्ता हमारी जिंदगी का बैकअप होता है। बस जरूरी है कि भाई-बहन एक दूसरे की खुशियों में नाचें भी और गम आने पर गले लगाने और सहारा बनने भी सबसे पहले पहुंच जाएं। बस इतना कर लिया तो यह रिश्ता स्नेह, विश्वास, अपनेपन और सुरक्षा का प्रतीक बन जाएगा। आज भले ही कोई आलीशान मकान में रह रहा हो, लाखों रुपए सैलरी हो, बहुत लग्जरी कार हो, सोशल मीडिया पर हजारों फॉलोअर हों लेकिन मन की बात कहने के लिए आज भी दिल भाई-बहन को ही ढूंढता है। यह ऐसा रिश्ता है जहां छोटे-छोटे झगड़े भी होते हैं लेकिन मन के भावों की बड़ी गहराई भी होती है। जो बिना कहे हमारी बात समझ ले, जो हमारी पसंद-नापसंद को जानता हो, हर सुख-दुख में सबसे पहले याद आता हो और हमारा सहारा बन के हमें गले लगा लेता हो। ऐसा स्नेह का रिश्ता रेशम की डोरी से बंधने वाला संसार का सबसे मजबूत बंधन

कर्तव्‍य निभाए बिना नहीं मिल सकता 'अधिकारों का आनंद'

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  हम देश की आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर चुके हैं , आजादी के इस जश्‍न की हम सभी ने एक-दूसरे को बधाई दी , राष्‍ट्रगान गाया , कार्यक्रम भी किए , क्‍योंकि आजादी शब्‍द ही ऐसा है जो हमें स्‍वच्‍छंदता का अहसास कराता है। स्‍वतंत्रता शब्‍द सुनते ही हमें अपने अधिकारों का अनुभव होने लगता है लेकिन हम अपने अधिकार पाने की दौड़ में कई बार इस सीमा तक चले जाते हैं कि कर्तव्‍यों का बोध ही भूल जाते हैं , ऐसे में हमारे नैतिक जीवन का संतुलन बिगड़ जाता है। अधिकार हमारे लिए जरूरी हैं लेकिन कर्तव्‍य निभाए बिना हम स्‍थायी रूप से अधिकारों का आनंद नहीं ले सकते। अधिकार और कर्तव्‍य एक-दूसरे के सहगामी हैं , यह स्‍पष्‍ट करने के लिए मैं आपको एक कहानी सुनाता हूं। एक बार एक गांव में चार मित्रों ने साझेदारी में गाय खरीदी। यह तय हुआ कि प्रतिदिन एक-एक साझेदार उस गाय को रखेगा। प्रतिदिन हर व्‍यक्ति उस गाय का दूध निकाल लेता लेकिन उसे चारा नहीं खिलाता , वह सोचता कि कल वाले साझेदार ने चारा खिलाया ही होगा और कल फिर उसे चारा मिल जाएगा तो मैं गाय को चारा नहीं भी खिलाऊंगा तो क्‍या फर्क पड़ेगा। यह बात चारों साझेदार सोचते

अपने काम में ग्रासरूटर बनें, पैराशूटर नहीं

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    जीवन में हम सब कामयाब होना चाहते हैं लेकिन अधिकांश उसके लिए लगातार शार्टकट ढूंढते हैं , ऐसे में कई बार कामयाबी तो मिल जाती है लेकिन काबिलियत के अभाव में यह कामयाबी बरकरार नहीं रह पाती , इसलिए जीवन में सबसे अधिक जरूरी है खुद को क‍ाबिल बनाना। खुद को इतना काबिल कर लें कि जीवन में किसी भी समय अगर आपका पद , प्रतिष्‍ठा , पैसा या पॉवर आपसे छीन लिया जाए तो भी आप कुछ समय में उसे वापस खड़ा कर सकें। अपने हूनर या पेशे में काबिलियत हासिल करने का सबसे आसान तरीका है ग्रासरूटर बनना क्‍योंकि अगर आप ग्रासरूटर हैं तो हमेशा नीचे से ऊपर जाएंगे लेकिन अगर आप पैराशूटर हैं तो हमेशा ऊपर से नीचे आएंगे। मैंने काबिलियत में ग्रासरूटर होने का जिक्र इसलिए किया क्‍योंकि जब हम ग्रासरूटर होते हैं तो हमें उस कार्य का बुनियादी ज्ञान यानी बेसिक नॉलेज होता है। ऐसे में हम बेहतर ढंग से कार्ययोजना बना पाते हैं , निचले स्‍तर पर अगर लापरवाही हो रही है तो हम इसे पकड़ व सुधार पाते हैं और मजबूत नींव के साथ सफलता की इमारत खड़ी कर पाते हैं। दूसरी ओर अगर आप पैराशूट से किसी पद पर पहुंच भी जाते हैं तो वहां आपको हर कार्य के ल

संसार की सबसे कीमती दौलत है दोस्‍ती

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हम इस धरती पर कई संबंधों के साथ जन्‍म लेते हैं। माता-पिता , भाई-बहन और रिश्‍तेदार यह सब हमारे जन्‍म के आधार पर तय होते हैं लेकिन दोस्‍ती एक ऐसा संबंध है जिसका चयन हम स्‍वयं करते हैं। आमतौर पर हम उसे दोस्‍त मानते हैं जो हमारे साथ पढ़ता है , काम करता है , खेलता है या मौज मस्‍ती करता है लेकिन इसके वास्‍तविक मायने काफी गहरे हैं। वास्‍तव में दोस्‍ती संसार की सबसे कीमती दौलत है अगर यह समय , साथ और समर्पण के सूत्र से बंधी हो। मुश्किल समय में कंधे पर हाथ है दोस्‍ती , टूट जाने पर आगे बढ़ने का विश्‍वास है दोस्‍ती , कभी अवसर , कभी उल्‍लास तो कभी विश्‍वास है दोस्‍ती। जो आपकी खुशी में नाचे भी और आपकी गलती पर डाटें भी वही है सच्‍ची दोस्‍ती। जीवन में हम अलग-अलग चीजों को हासिल करना चाहते हैं जिससे हम शक्तिशाली बन सकें। कोई शस्‍त्र को , कोई शास्‍त्र को , कोई बुद्धि को तो कोई बल को हासिल करना चाहता है लेकिन यकीन मानिए इन सबसे अधिक शक्तिशाली अगर कुछ है तो वह है दोस्‍ती। हां क्‍योंकि दोस्‍ती कठिनाई में हमारा शस्‍त्र है तो मार्ग भटकने पर हमारा शास्‍त्र , असमंजस में बुद्धि है तो विश्‍वास खोने पर हमारा