जीवन का प्रबंधन सीखाता है श्रीराम का चरित्र
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मैं राम पर लिखूं मेरी हिम्मत नहीं है कुछ तुलसी ने , वाल्मिकी ने छोड़ा नहीं है कुछ ... श्रीराम नवमी पर आज जब मर्यादा पुरूषोत्तम के बारे में कुछ लिखने का विचार आया तो शम्स मीनाई की इन पंक्तियों के साथ कलम ठहर सी गई। मन में विचार आया कि जग में जो सबसे उत्तम हैं , मर्यादा पुरूषोत्तम हैं , सबसे शक्तिशाली होने के बाद भी जो संयम रखते हैं , जिनमें अहंकार का अंश तक नहीं है उन पर मैं क्या लिख पाउंगा , फिर विचारों को ही श्रीराम के चरणों में रख दिया और प्रार्थना की कि प्रभु आप जो चाहें वह लिखवा दें। बस फिर मानो कलम अपने आप चलने लगी और श्रीराम के चरित्र की व्याख्या जीवन के प्रबंधन को समझा गई। हममें से अधिकांश लोग राम को मानते हैं लेकिन राम की नहीं मानते , जिस दिन हमने राम की मान ली तो जीवन में कोई कष्ट रह ही नहीं जाएगा। वास्तव में श्रीराम ने अपने जीवन में मनुष्य से देवतत्व तक की यात्रा को न केवल तय किया है बल्कि चरित्र के सर्