क्‍या आप चाहते हैं जीवन में ऑलराउंडर बनना… तो यह करें


हम जीवन में सक्‍सेसफुल हों या स्‍ट्रगल कर रहे हों, स्‍टूडेंट हों या प्रोफेशनल, बिजनेसमैन हों या जॉब में … हम सभी जीवन में एक चीज जरूर चाहते हैं… वह है कुछ एक्‍स्‍ट्रा। मतबल हम हमेशा अपनी लाइफ को ऑर्डिनरी से एक्‍स्‍ट्रा ऑर्डिनरी बनाना चाहते हैं। हम ऑलराउंडर बनना चाहते हैं क्‍योंकि क्रिकेट हो या लाइफ ऑलराउंडर की वैल्‍यू हमेशा दूसरों से अधिक होती है। अगर आप भी कुछ ऐसा चाहते हैं तो इसका बस एक छोटा सा फंडा है, जब हम लाइफ से कुछ एक्‍स्‍ट्रा चाहते हैं, उससे पहले हमें कुछ एक्‍स्‍ट्रा देना पड़ता है। अपनी लाइफ के लक्ष्‍यों के लिए, अपनी इच्‍छाओं को पूरा करने के लिए या अपने रिश्‍तों को मजबूत करने के लिए बस थोड़े से एक्‍स्‍ट्रा एफर्ट दे दीजिए और फिर आप लाइफ में बन जाएंगे ऑलराउंडर।

लाइफ में ऑलराउंडर बनने के लिए सबसे जरूरी है प्रायोरिटी सेट करना। जैसे आप स्‍टूडेंट हैं तो आपकी पहली प्राथमिकता है पढ़ना, अगर बिजनसमैन हैं तो व्‍यापार पर ध्‍यान देना, अगर जॉब में हैं तो ऑफिस की जिम्‍मेदारियों को पूरा करना और अगर आर्टिस्‍ट हैं तो अपने आर्ट की प्रैक्टिस करना लेकिन इन सबके बीच एक ओर चीज महत्‍वपूर्ण है वह है ब्रेक या हम कह सकते हैं स्‍पेस। जब हम अपने काम को ब्रेक देते हैं तभी हमें क्रिएटिविटी के लिए स्‍पेस मिलता है। अपनी प्रायोरिटी के बीच समय निकालें और उस समय में उन कार्यों को करें जिससे आपके काम का स्‍ट्रेस भी कम हो सके और दिल को सुकून भी मिल सके। जैसे पढ़ाई के बीच में गेप कर आप कुछ देर डांस करें या कोई खेल खेलें, ऑफिस के पहले या बाद में कुछ लिखें, गाना गाएं या किताब पढ़ें। सप्‍ताह में एक दिन अपने परिवार-रिश्‍तेदारों से संवाद करें, जरूरतमंदों की सेवा करें और फोटोग्राफी-पेंटिंग जैसी क्रिएटिविटी को आगे बढ़ाएं।

लाइफ में ऑलराउंडर बनने के लिए एक बात हमेशा याद रखें, वह है रिश्‍तों को सहेजना, क्‍योंकि हम जीवन में हर काम खुश रहने के लिए करते हैं और खुशी हमें केवल रिश्‍तों से ही मिल सकती है। पैसा, पद, पॉवर, मिलने के बाद भी कई लोग परेशान हैं लेकिन जिनके रिश्‍ते अच्‍छे हैं वह खुश हैं। हेल्‍थ और वेल्‍थ की हैप्‍पीनेस आपको तभी मिलेगी जब आपके पास अच्‍छी रिलेशनशिप हो। ऑलराउंडर बनने के लिए रिश्‍तों की मजबूती आपकी बैकबोन या सबसे बड़ा बैकअप है।  

ऐसे बनाएं खुद को ऑलराउंडर

  • ऑलराउंडर बनना टेलेंट का खेल नहीं है बल्कि केवल लाइफ को मैनेज करने का आर्ट है। इसलिए अपनी लाइफ में प्रायोटिरी और हैप्‍पीनेस का संतुलन बनाएं।
  • अपनी लाइफ में देखें कि आप कहां कमजोर हैं, वर्क प्रोफाइल में, हेल्‍थ में या रिश्‍ते निभाने में। सबसे पहले उस काम पर ध्‍यान दें जहां आप कमजोर हो रहे हैं।
  • हम कई काम एक साथ नहीं कर सकते लेकिन एक ही काम को दिनभर भी नहीं कर सकते। ऐसे में अपनी प्रायोरिटी के ब्रेक में अपनी क्रिएटिविटी को स्‍पेस दें
  • ना कहना भी सीखें और ना सुनना भी। न तो ना कहना किसी का अपमान है और न ही ना सुनना आपका अपमान बल्कि यह हमें दूसरे विकल्‍पों की तरफ ले जाता है।
  • किसी भी काम को उतनी ही इंर्पोटेंस दें जितनी जरूरी है। जैसे जितनी प्‍यास लगती है उतना पानी पीते हैं, वैसे ही कोई काम कितनी देर जरूरी है उतना ही समय उसे दें।
  • यह कभी मत सोचिए कि केवल आपनी लाइफ में ही दुख हैं और दूसरे बहुत सुखी हैं। केवल जरूरत है दुख दूर करने के प्रयासों पर काम करने की और जो सुख हैं उन्‍हें पूरी तरह जीने की।
  • अपनी जिंदगी में पैसों व रिश्‍तों के बीच, हेल्‍थ और वेल्‍थ के बीच, प्रोफेशन और परिवार के बीच हमेशा संतुलन बनाए रखें। तभी आप जीवन में कहलाएंगे ऑलराउंडर।

धन्‍यवाद

मेरे साथ बने रहने के लिए………  आपका सुमित 

टिप्पणियाँ

  1. क्या बात है सुमित जी नमस्कार बहुत ही शानदार ब्लॉक आज का ऑलराउंडर वैसे कहो तो मैं ही तो हूं लेकिन शायद ज्यादा हो जाएगा आपने और जो ध्यान आकर्षित किया कि ना सुनने को ना कहना और उसे एक्सेप्ट करना बहुत अच्छी बात है वह शब्द वह टिप्पणी बहुत अच्छी लगी बहुत-बहुत आभार धन्यवाद

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  2. बहुत सुंदर सुमित, ऑर्डिनरी से एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी बनने में ये आलेख लोगों की सहायता करेगा 👌👍

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  3. प्रभावी शब्दो का तालमेल, इसे अपने जीवन मे उतार लिया तो वह 100% कामयाब होगा....

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