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क्या आप करना चाहते हैं खुद को रि-डिस्कवर

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  हम सब जिंदगी में कामयाब बनना चाहते है, आगे बढ़ना चाहते है और इसके लिए सफल लोगों कार्यों को फॉलो भी करते हैं, पर क्या आपने कभी गौर किया है कि अधिकांश कामयाब लोगों के जीवन में एक चीज कॉमन है और वह हैं ट्रेवल यानी पर्यटन। जी हां हर सफल इंसान ने जीवन में खूब ट्रेवल किया होता है। तभी वह हर तरह के लोगों से कम्युनिकेट कर पाता है, अलग-अलग  परिस्थितियों में निर्णय ले पाता है और खुद को बेहतर ढंग से डिस्कवर कर पाता है। तो अगर आप भी खुद को रि-डिस्कवर करना चाहते हैं और अपनी जिंदगी को सुहाना बनाना चाहते हैं तो टूरिज्म से कीजिए दोस्ती और सफर पर निकल जाइये। दुनिया में जो भी महान बना उसने सफर जरूर किया है। अगर त्रेता युग में श्रीराम की बात करें तो वह किसी एक वन में रहकर भी वनवास पूरा कर सकते थे लेकिन उन्होंने ऋषियों के आश्रम जाकर आशीर्वाद और प्रेरणाएं लीं, वनवासियों की समस्या जानी, भेदभाव मिटाये और विकट परिस्थिति आने पर रावण का वध भी किया। इन्हीं अनुभव के आधार पर उन्होंने राम राज्य की स्थापना की। इसी तरह द्वापर युग में श्री कृष्ण ने भी भ्रमण किया, इसी दौरान उन्हें बेहतर विकल्प नजर आया और उन्होंने मथुर

बुरा न मानो होली है...

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  होली की बात जब भी होती है तो हमें सबसे पहले रंग दिखाई देने लगते हैं , इसके साथ ही नजर आती है खूब सारी मस्ती और धमा - चौकड़ी लेकिन होली के साथ एक वाक्य प्रचलित है बुरा न मानो होली है ... यह वाक्य अपने आप में काफी गहरे अर्थ लिए हुए है। हम केवल मस्ती में किसी को रंग लगाने पर वह बुरा न माने वहां तक ही इसके अर्थों को समझ पाते हैं लेकिन वृहद अर्थों में समझा जाए तो यह वाक्य हमें बताता है कि अगर किसी से बुरा माने बैठे हो या कोई आपसे कुछ बुरा मानकर दूर हो गया है तो उसे मनाने या क्षमा करने के लिए रंगों के उत्सव से बेहतर अवसर ओर कोई नहीं हो सकता। रंगों से सराबोर होने वाले आगामी पूरे सप्ताह हम मान लें कि जीवन के सारे गिले - शिकवे भूलाकर जिंदगी को गले लगाएंगे और रंगों की तरह खिल खिलाएंगे। तो इस होली आप भी किसी के गालों पर गुलाल गलाकर भूला दीजिए सारे गिले - शिकवे। इस होली पर आपके अपने संबंधों की ओर नजर घूमाईये। जरा दिमाग पर