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दिपावली पर कीजिए दिल की सफाई, जीवन में आएगा प्रेम का उजास

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  दिपावली का पर्व अपने साथ संपन्‍नता और रौनक लेकर आता है , दिपावली से पहले हम सब घरों में साफ-सफाई में जुट जाते हैं , इस बार इसमें एक ओर प्रयास मिला लीजिए। दिपावली पर घर के साथ दिल की भी सफाई कर दीजिए। जैसे आप हटा देते हैं पुराना सामान , रद्दी और कचरा अपने घरों से , वैसे ही हटा दीजिए क्रोध , बैर , ईर्ष्‍या और अहंकार को अपने दिलों से। जैसे घर को सजाते हैं नए रंग , फूल और दीयों से वैसे ही दिल को सजाईये नए विश्‍वास , सेवाभाव और स्‍नेह से। बस फिर देखिए जैसा आपका घर चमकेगा दीपोत्‍सव के उल्‍लास से , वैसे ही आपका जीवन चमक जाएगा प्रेम के उजास से। कल्‍पना कीजिए कि आपके घर में कचरा बिखरा हो , सामान अस्‍त-व्‍यस्‍त हो , किताबों पर धूल चढ़ी हो और दीवारों पर फफूंद लग रही हो तो क्‍या आप उस घर में रह सकते है , नहीं ना… तो फिर अपने दिल को ऐसा क्‍यों बना रखा है , जिसमें व्‍यर्थ बातों का कचरा बिखरा हुआ है , मनमुटाव की धूल रिश्‍तों को ढंक रही है , संबंधों में मतभेदों की ददारें पड़ रही हैं और अकेलेपन का अंधेरा आपके जीवन के उल्‍लास को खत्‍म कर रहा है। अगर आप इस दीपावली जीवन में रौनक लाना चाहते हैं तो

आप हैं अपने जीवनसाथी के रहनुमा…

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आज के दौर में सबसे ज्यादा चुटकुले सुनाई देते हैं तो पति-पत्‍नी पर , शिकायतें सुनाई देती हैं तो पति-पत्‍नी की और कंपेंरिजन सुनाई देते हैं तो वह भी पति-पत्नी को लेकर। कहने को सात जन्‍मों के लिए बंधा यह रिश्‍ता आज विवाद , विवशता और व्यंग्यों में उलझा नजर आता है। पति - पत्नी वचन तो लेते हैं जीवन भर साथ निभाने का लेकिन एक-दूसरे में कमियां निकालकर और दूसरों से कंपेयर कर अपने रिश्‍ते को कमजोर बना देते हैं। करवा चौथ हमें याद दिलाता है कि यह रिश्‍ता कितना जरूरी है और इसके सहारे जीवन कितना सरल है। भले रिश्‍ते में थोड़ी तकरार हो , रूठना-मनाना हो लेकिन आप हैं अपने जीवन साथ के रहनुमा… पति और पत्नी के रिश्ते को सबसे मजबूत इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह सिर्फ इस जन्म नहीं बल्कि सात जन्मों के लिए जुड़ता है लेकिन कई बार इस रिश्ते को समझने की जगह लोग इसे उलझा देते हैं और फिर इसे सुलझाने की जगह इन उलझनों का बखान अपने दोस्तों या रिश्तेदारों से करते रहते हैं। शुरू में व्यंग्य और तानों से शुरू हुई यह उलझनें बाद में विवाद और टकराव तक ले जाती हैं। अगर इन उलझनों को समय रहते सुलझा लिया जाए तो इससे खूबसूरत कोई

सत्य को स्वीकार करने पर ही मिलती है असत्य से लड़ने की शक्ति

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हम सभी ने गत दिनों दशहरा मनाया , रावण के पुतले का दहन किया और एक-दूसरे से मिलकर , मोबाइल पर और सोशल मीडिया के माध्‍यम से असत्य पर सत्य की जीत के संदेश को दोहराया । हम लगातार इस बात का प्रचार करते हैं कि असत्य पर सत्य की जीत होती है लेकिन इस बात को जीवन में उतारना भूल जाते हैं। कभी हम समाज में दिखावे के लिए असत्य बोलते हैं तो कभी खुद को धोखा देते हुए असत्य का चोला  ओ ढ़ लेते हैं। वास्‍तव में अगर आपको जीवन में कुछ हासिल करना है , आगे बढ़ना है या खुद को साबित करना है तो सबसे जरूरी है सत्‍य को स्‍वीकार करना। जब तक आप सत्‍य को स्‍वीकार नहीं कर लेते तब तक आपको असत्‍य से लड़ने की शक्ति नहीं मिलेगी। आज जब हम शक्ति की आराधना और सत्‍य की जीत के पर्वों को मना रहे हैं तो स्‍वयं भी संकल्‍प लें कि अपने जीवन के सत्‍यों को स्‍वीकार कर स्‍वयं में सुधार करेंगे। हम सब कहीं न कहीं , कभी न कभी , किसी न किसी भय से सत्‍य को छुपाने का प्रयास करते हैं। हमें हमेशा डर लगा रहता है कि सत्‍य को उजागर करने से हमारी प्रतिष्‍ठा , संबंध या भविष्‍य खतरे में पड़ सकता है। लगातार असत्य के आवरण में रहने के कारण हम असत्

जिंदगी का आभार मानिए, उसने आपको बहुत कुछ दिया है

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    हम रोज नई चुनौतियों के साथ आगे बढ़ रहे हैं , जब स्‍कूल में होते हैं तो बेहतर कॉलेज की चुनौती , जब कॉलेज में होते हैं तो अच्‍छे ग्रेड के साथ डिग्री की चुनौती , डिग्री मिल जाए तो बड़ी कंपनी में नौकरी , नौकरी मिल जाए तो प्रमोशन , फिर सैलरी , फिर ऑफिस पॉलिटिक्‍स , फिर कंपनी स्‍वीच करने की इच्‍छा , फिर अपने दोस्‍तों के करियर में अधिक ग्रोथ से अपनी तुलना और कभी अपने रिश्‍तेदारों-पड़ोसियों की लग्‍जरी लाइफ से अपना कंपेरिजन । यह हम सबकी लाइफ में होता है लेकिन इन सबके बीच हम अपने जीवन में उन महत्‍वपूर्ण चीजों को भूला देते हैं जो हमारे पास हैं। अच्‍छी हेल्‍थ , अच्‍छा परिवार , अच्‍छी रिलेशनशिप इन सबकी हमें वैल्‍यू नहीं होती जब तक यह हमारे पास होते हैं लेकिन करियर की भागदौड़ में जब यह चीजें दूर चली जाती हैं तब हमें जाकर इनकी वैल्‍यू पता चलती है लेकिन कई बार यह पता चलते-चलते काफी देर हो जाती है , इसलिए जरा ठहरिए… जिंदगी का आभार मानिए , उसने आपको बहुत कुछ दिया है। शायद इतना जिसके लिए लाखों लोग तरसते हैं। आपने एक कहावत सुनी होगी कि दूर के ढोल सुहावने होते हैं। ऐसा ही हमारे जीवन में होता है। अग