गुलाल गलाकर भूला दीजिए गिले-शिकवे
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होली की बात जब भी होती है तो हमें सबसे पहले रंग दिखाई देने लगते हैं , इसके साथ ही नजर आती है खूब सारी मस्ती और धमा- चौकड़ी लेकिन होली के साथ एक वाक्य प्रचलित है बुरा न मानो होली है ... यह वाक्य अपने आप में काफी गहरे अर्थ लिए हुए है। हम केवल मस्ती में किसी को रंग लगाने पर वह बुरा न माने वहां तक ही इसके अर्थों को समझ पाते हैं लेकिन वृहद अर्थों में समझा जाए तो यह वाक्य हमें बताता है कि अगर किसी से बुरा माने बैठे हो या कोई आपसे कुछ बुरा मानकर दूर हो गया है तो उसे मनाने या क्षमा करने के लिए रंगों के उत्सव से बेहतर अवसर ओर कोई नहीं हो सकता। रंगों से सराबोर होने वाले आगामी पूरे सप्ताह हम मान लें कि जीवन के सारे गिले-शिकवे भूलाकर जिंदगी को गले लगाएंगे और रंगों की तरह खिल खिलाएंगे। तो इस होली आप भी किसी के गालों पर गुलाल गलाकर भूला दीजिए सारे गिले-शिकवे। इस होली पर आपके अपने संबंधों की ओर नजर घूमाईये। जरा दिमाग पर जोर डालकर सोचिए कि आपके संबंधों में क्या निस्वार्थ प्रेम और विश्वास है। अगर नही तो कहां कमी आ रही है। चलिए हम सबसे पहले यह समझते हैं कि संबंधों का आधार क्या है। शायद आपको लगता ह