संसार की सबसे कीमती दौलत है दोस्‍ती


हम इस धरती पर कई संबंधों के साथ जन्‍म लेते हैं। माता-पिता, भाई-बहन और रिश्‍तेदार यह सब हमारे जन्‍म के आधार पर तय होते हैं लेकिन दोस्‍ती एक ऐसा संबंध है जिसका चयन हम स्‍वयं करते हैं। आमतौर पर हम उसे दोस्‍त मानते हैं जो हमारे साथ पढ़ता है, काम करता है, खेलता है या मौज मस्‍ती करता है लेकिन इसके वास्‍तविक मायने काफी गहरे हैं। वास्‍तव में दोस्‍ती संसार की सबसे कीमती दौलत है अगर यह समय, साथ और समर्पण के सूत्र से बंधी हो। मुश्किल समय में कंधे पर हाथ है दोस्‍ती, टूट जाने पर आगे बढ़ने का विश्‍वास है दोस्‍ती, कभी अवसर, कभी उल्‍लास तो कभी विश्‍वास है दोस्‍ती। जो आपकी खुशी में नाचे भी और आपकी गलती पर डाटें भी वही है सच्‍ची दोस्‍ती।

जीवन में हम अलग-अलग चीजों को हासिल करना चाहते हैं जिससे हम शक्तिशाली बन सकें। कोई शस्‍त्र को, कोई शास्‍त्र को, कोई बुद्धि को तो कोई बल को हासिल करना चाहता है लेकिन यकीन मानिए इन सबसे अधिक शक्तिशाली अगर कुछ है तो वह है दोस्‍ती। हां क्‍योंकि दोस्‍ती कठिनाई में हमारा शस्‍त्र है तो मार्ग भटकने पर हमारा शास्‍त्र, असमंजस में बुद्धि है तो विश्‍वास खोने पर हमारा आत्‍मबल। जब आपके दिल में कोई तमन्‍ना हो या कोई परेशानी आ जाए या फिर हालात आपके काबू से बाहर हों तो आपके कंधे पर हाथ रखकर तेरा यार हूं मैं – तेरे साथ हूं मैं… कहने वाले साथी की जो भावना है ना, वही है सच्‍ची दोस्‍ती।


दोस्‍ती कोई समझौता या कारोबार नहीं है जिसमें लेन-देन किया जाए, बल्कि यह तो प्‍योर बॉन्‍ड है जो हमें समझता भी है और समझाता भी है, इसलिए हमारे दोस्‍तों को कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमारी हैसियत क्‍या है, हम कैसे दिखते हैं या हम क्‍या करते हैं। दोस्‍त तो वह हैं जिन्‍हें खुद पता चल जाता है कि हमें उनकी जरूरत कब है, उनके क्‍या करने पर हम खुश होंगे, कैसे वह हमें हमारी मुश्किल से बाहर निकाल पाएंगे। दोस्‍ती वह पॉवरबैंक है जो आपकी लाइफ के मोबाइल की बैटरी को कभी डाऊन नहीं होने देती।

कौन है आपका सच्‍चा दोस्‍त

मुझसे अक्‍सर लोग पूछते हैं कि कैसे पता करें कि हमारा सच्‍चा दोस्‍त कौन है, तो मैं आज कुछ पहचान बता रहा हूं सच्‍चे दोस्‍तों की।

इससे आप यह तो पता कर पाएंगे कि कौन सा मित्र आपके सबसे अधिक करीब है, साथ ही स्‍वयं का भी आकलन कर पाएंगे कि आप दोस्‍तों के प्रति कितने वफादार हैं।

विश्‍वास – दोस्‍ती का पहला आधार है विश्‍वास, अपने दोस्‍त पर पूरा भरोसा रखना, दोस्‍ती के बीच संदेह को कभी नहीं आने देना।

साथ – जब दोस्‍त किसी मुश्किल में हो तो उसके साथ खड़े रहना, भले ही कितने ही कठिन हालात हों लेकिन दोस्‍त का साथ नहीं छोड़ना।

समय – समय वह चीज है जिसको लेकर हम अक्‍सर नहीं होने के बहाने बनाते हैं लेकिन दोस्‍त को जरूरत हो तो उसे अपना समय देना सबसे जरूरी है।

समर्पण – आपके प्रति समर्पित व्‍यक्ति जो आपकी खुशी को बढ़ाने के लिए और आपके दर्द को कम करने के लिए खुद का समर्पण कर दे।

मार्गदर्शक – अगर आप कोई गलत काम कर रहे हैं या गलत राह पर हैं तो आपको डांटे और आपको छोड़ने की जगह झगड़ा कर आपको वापस सही राह पर लाए।

बदले नहीं – सच्‍चा दोस्‍त आपको कभी बदलने का प्रयास नहीं करेगा, आप जैसे हो उसी स्‍वरूप में आपको स्‍वीकार करेगा।

अगर लाइफ में आपकी यारी पर सबकुछ कुर्बान करने वाला कोई दोस्‍त है जो मुश्किल समय में आपसे कहता है मैं हूं ना। जो तेज धूप में छांव के जैसा, रेगिस्‍तान में गांव के जैसा और मन के घाव पर मरहम जैसा है। जो आपकी जीत को अपनी जीत और आपकी हार को अपनी हार मानता हो, तो उसका साथ कभी मत छोड़ना क्‍यों कि वो आपकी यारी का हकदार है, वो आपका सच्‍चा यार है, अगर हो सके तो आज कॉल या मैसेज करके अपनी लाइफ के उस पॉवर बैंक को आप भी कह देना तेरे बिना बेकार हूं मैं, तेरा यार हूं मैं…

टिप्पणियाँ

  1. बहुत बहुत शानदार एवं आप सभी को हैप्पी फ्रेंडशिप डे दोस्तों का जो जिक्र आज आपने किया है यकीनन बहुत ही शानदार मार्गदर्शन दोस्तों पर क्या लिखूं माता-पिता के जीवन देने के बाद एक परछाई के रूप में साथी के रूप में दुख की घड़ी में जो साथ देता है वही सच्चा मित्र होता है जीवन की कुछ ऐसी घटनाएं जो होती है वह सिर्फ आपका एक सच्चा मित्र ही जानता है सुनता है समझता है और आप भी उस से बेझिझक शेयर करते हैं दोस्ती पर विश्वास दुख की घड़ी में साथ खड़े रहना यही दोस्ती का असली परिचय है बहुत-बहुत धन्यवाद सुमित जी आप भी मेरे अच्छे प्रिय मित्र हैं मार्गदर्शक के रुप में आप जो समझाइश देते हैं उस रास्ते पर चलना एवं आपकी बातों को समझना बहुत ही अच्छा लगता है

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  2. Happy Friendship Day,you have a unique perspective about fundamentals of life.keep on writing bhai.you really motivates readers.

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  3. हैप्पी फ्रैंडशीप डे
    सुमित भैय्या

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  4. मित्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ ।
    ज़रूर यह प्रश्न उठता रहेगा कि यह पाश्चात्य सभ्यता से आया रिवाज है, तथापि जो भी सकारात्मक है, वह ग्राह्य है ।नकारात्मकता का परित्याग करें ।
    🙏🙏🌹🌹

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