रास्तों से कर लो दोस्ती, आसान हो जाएगी जिंदगी
आपने सुना होगा कल ओर आएंगे हमसे बेहतर कहने वाले, तुमसे बेहतर सुनने वाले... हर कोई किसी न किसी की जगह लेता है। कल हमसे पहले कोई यहां था और कल हमारे बाद भी यहां कोई रहेगा। क्योंकि हम कहीं थे और हम कहीं होंगे यह दोनों ही बातें कल्पनाओं की हैं। असल में माजरा बस उस समय का है जो अभी आपके पास है। हम हमेशा मंजिल के उत्साह और उल्लास की कल्पनाओं में रास्तों के आनंद को भूला देते हैं, जबकि असली जिंदगी तो रास्तों में ही है। यहां मंजिल तक पहुंचने का क्रेज भी होता है ठोकरों से मिलने वाला नॉलेज भी और रास्तों के दौरान किया एक्सपीरियंस भी। तो बस रास्तों से कर लीजिए दोस्ती तो आसान हो जाएगी आपकी जिंदगी। जरा सोचिए जब आप अपने परिवार या दोस्तों के घर हुए किसी समारोह को याद करते हैं तो सबसे रोचक यादें कौन सी होती हैं, वह होती हैं तैयारियों के दौरान की गई मस्ती, शॉपिंग के दौरान एक्साइटमेंट और कुछ चीजें फाइनल करने के दौरान की खट्टी-मीठी नौंक-झौंक। इसी तरह जब कहीं घूमने जाते हैं तो ट्रेन, बस या कार में हुई ठिठोली, किसी मंदिर या महल की लंबी चढ़ाई के दौरान एक-दूसरे का सहारा बनना या यहां कि