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जून, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

जीवन में शांति चाहिए तो करना पड़ेगा ''मन से संवाद''

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हम सभी को जीवन में शांति चाहिए । कभी हम इसे संसार में ढूंढते हैं तो कभी  संन्‍यास  में , कभी ध्‍यान में ढूंढते हैं तो कभी भजन में लेकिन जहां हम इसे ढूंढने जाते हैं मन कहता है कि शांति यहां नहीं वहां मिलेगी । असल में मन का स्‍वभाग ही हमें भ्रमित करना है , मन का स्‍वभाव ही है कि वह कहीं लगता नहीं , इसलिए मन को कहीं लगाने की कोशिश मत कीजिए। मन को समझने की कोशिश कीजिए और उससे संवाद कीजिए। तभी जीवन में आत्‍मीय शांति मिलेगी। असल में हमारा मन रियालिटी और इमेजिनेशन में फर्क नहीं कर पाता , जैसे हम कोई सपना देखते हैं तो हम घबरा जाते हैं , पसीना आने लगता है , कभी-कभी तो हम चिल्‍लाने भी लगते हैं। हमारा मन इमेजिनेशन में भी हमारी बॉडी के साथ वैसा ही स्‍वभाव करता है जैसा रियालिटी में करता है। जैसे ही हमारा सपना खत्‍म होता है या नींद खुलती है तो हम वास्‍तव‍िकता को रिकॉल करते हैं और नॉर्मल हो जाते हैं , बस ऐसा ही हमें जीवन के साथ करना है। अगर आपके साथ कुछ बुरा हुआ , आपसे कोई गलती हुई या कोई बात आपके मन को कचोट रही है तो यह याद रखिए कि बीते हुए कल की बात को न हम बदल सकते हैं और न ही वह हमारे वर्तमा

मेरी जमाने में जो शोहरत है मेरे पिता की बदौलत है

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हम दुनिया में आते हैं तो हमारे वजूद की पहली पहचान होती है पिता... पिता को शब्दों में परिभाषित ही नहीं किया जा सकता क्योंकि पिता अप्रदर्शित अनंत प्यार है । मां पैरों से चलना सिखाती है तो  पिता  पैरों पर खड़ा होना सिखाता है। आज मैं दुनिया में किसी मुकाम पर हूं , कुछ हासिल कर पाया हूं या प्रतिष्ठित हूं तो सिर्फ इसलिए कि मेरे कंधे पर मेरे पिता का हाथ है। बड़े नसीब वाले होते हैं वो लोग पिता जिनके साथ हैं। आज फादर्स डे पर आप सब से यही कहूंगा कि मेरी जमाने में जो शोहरत है वह मेरे पिता की बदौलत है। इस दुनिया में अगर आगे बढ़ना है तो जड़े मजबूत होना चाहिए । आपने अक्सर पेड़ों को देखा होगा , कई पेड़ बहुत बड़े और विशाल होते हैं , जानते हैं क्यों , क्योंकि उनकी जड़े मजबूत होती हैं। जब हमारी जड़े मजबूत होती हैं तभी हममें काबिलियत के फूल और सफलता के फल पनन सकते हैं। हमारी उन्‍नति और प्रगति की जो जड़ हैं वह हैं हमारे पिता। पिता अपने बच्चों में संस्कार बोता है उनके चरित्र का निर्माण करता है। आज हम कितना भी कमा लें दुनिया में कुछ भी बन जाएं हमारी कीमत पिता की पगड़ी से ज्यादा नहीं हो सकती। पिता हमारे जीवन का संबल ह

किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार…

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आज आपाधापी के दौर में किसी के पास वक्‍त नहीं है , हर कोई अपने जीवन में व्‍यस्‍त है लेकिन कई बार परिस्थितियां ऐसी हो जाती हैं कि हमारा कोई अपना किसी मुश्किल , परेशानी या समस्‍या से घ‍िर जाता है या जीवन के किसी बहुत बुरे दौर से गुजर रहा होता है। बस यही वह समय होता है जब हमें अपनी सबसे महत्‍वपूर्ण जिम्‍मेदारी निभाने को मिलती है और वह है किसी का दर्द उधार लेने , किसी की आंखों से आंसू चुराने , किसी के होठों पर मु‍स्‍कुराहट लाने और किसी से दिल का रिश्‍ता निभाने की। अगर आप के दिल में किसी के प्रति संवेदना हैं और आप बुरे वक्‍त में उसके साथ खड़े हैं तो यकीन मानिए ईश्‍वर ने दुनिया की सबसे बड़ी शोहरत यानी इंसानियत से आपको नवाजा है। हर सुबह सूरज निकलता है यह बताने के लिए कि बांटने से उजाने कम नहीं होते , पेड़ों से निकलती ऑक्सिजन हवा में घूलने से खत्‍म नहीं होती और नदियों में बहता जल निकालने पर वह सूखती नहीं। बस इसी तरह हमारा जीवन है अगर आपके पास अच्‍छे विचार हैं , सद्रभावना है , ज्ञान है या प्रेरणाएं हैं तो इन्‍हें बांटते रह‍िए यह आपके पास से कभी खत्‍म नहीं होंगे , बल्कि यह बहते पानी की तरह हम

आपका डर आपको बता सकता है 'सफलता का रास्‍ता'

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डर सभी को लगता है , चाहे वह पशु हो , पक्षी हो या मनुष्‍य । वास्‍तव में मनुष्‍य डर को अपने साथ लेकर ही जन्‍म लेता है। डर हमें सिर्फ भयभीत करने का काम नहीं करता बल्कि हमें आगे भी बढ़ाता है। जैसे जीवन का डर हमें खुद की सुरक्षा के लिए प्रेरित करता है , अपमान का डर हमें सदाचार की ओर बढ़ाता है और किसी अपने को खोने का डर हमसे उसके प्रति कर्तव्‍य पालन करवाता है लेकिन यह डर बुरा तब हो जाता है जब यह हम पर हावी होने लगता है और हमारे मार्ग में बाधक बन जाता है। फिर हम इसे पार नहीं कर पाते और जीवन के लक्ष्‍यों से भटक जाते हैं। तो चलिए आज जानते हैं कि कैसे आपका डर ही आपको बताएगा आपकी सफलता का रास्‍ता। डर का अर्थ है भविष्‍य में आने वाली विपत्तियों की कल्‍पना । डर की कल्‍पनाएं हमें कभी अपने कम्‍फर्ट जोन से बाहर नहीं निकलने देतीं , कभी हमें लगता है कि नौकरी छोड़ दी तो क्‍या करेंगे , व्‍यापार में नुकसान हो गया तो क्‍या होगा , जीवनसाथी के साथ तनाव बढ़ गया तो , शिक्षा में सफलता नहीं मिली तो , मनपसंद करियर या नौकरी नहीं मिल पाई तो , पद-पैसा-प्रतिष्‍ठा हमारे पास से चली गई तो , जीवन में तय लक्ष्‍यों को हा