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मार्च, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सारे शिकवे गिले भुला कर गले लगा लो जिंदगी को

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क्षमा या माफी दो अक्षरों के यह शब्द कहने, सुनने और लिखने में जितने सरल होते हैं। इन्हें व्यवहार में लाना उतना ही मुश्किल होता है। यह बहुत हिम्मत का काम है। क्षमा मांगने के लिए आपको अहंकार छोड़कर विनम्रता के धरातल पर आना पड़ता है, वहीं क्षमा करने के लिए भी उतनी ही उदारता की जरूरत होती है। क्षमा करने या मांगने के लिए सिर्फ दिल को थोड़ा बड़ा करने और अहम को छोड़ने की जरूरत है। अगर आप किसी से नाराज हैं या कोई आप से गुस्सा होकर बैठा है तो उसे मनाने का अवसर रंगों के उत्सव से बेहतर और कोई नहीं हो सकता। रंगों से सराबोर होने वाली सुबह को हम ठान लें कि गिले-शिकवे को भूलाकर जिंदगी को गले लगाएंगे और रंगों की तरह खिल खिलाएंगे। कोरोना के कारण भले ही हम हर किसी से मिलकर उसे रंग नहीं लगा सकें लेकिन दूसरों की गलतियों को भूलाकर बेरंग जिंदगी में संबंधों के रंग जरूर सजा सकते हैं। हमारा सारा जीवन संबंधों पर टिका है। कहीं पारिवारिक संबंध है, तो कहीं सामाजिक और कहीं व्यापारिक संबंध। कुछ संबंध प्रेम पर निर्भर होते हैं तो कुछ लाभ पर। रिश्तो में आदान-प्रदान जरूरी है। जहां इस आदान-प्रदान में असमानता आ जाती है वह

सुकून कमाना है तो किसी का सहारा बनिये

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  आज के दौर में डिजिटल मार्केटिंग हावी है , आप अक्‍सर पढ़ते और देखते होंगे विडियो-फोटो को शेयर कर हजारों कमाईये , डिजिटल पेमेंट कर कैशबैक कमाईये और ऑनलाइन शॉपिंग कर स्‍क्रैच कार्ड कमाईये लेकिन दुनिया की आपाधापी और जिंदगी की भागदौड़ में हम एक चीज कमाना भूल ही जाते हैं , वह है सुकून । अगर आपको संतोष की अनुभूति हासिल करना है और जीवन में खुश रहना है तो दूसरों की मदद कर सुकून कमाईये । हर धर्म और शास्‍त्र में कहा गया है कि हमें सिर्फ अपने लिए नहीं दुनिया के लिए भी जीना चाहिए क्‍योंकि जब तक हममें शेयर‍िंग की आदत नहीं हैं तब तक हम जो भी कमा रहे हैं या संचय कर रहे हैं उससे संतोष नहीं मिलेगा । दुनिया खाली-खाली सी लगेगी लेकिन जैसे ही हम दूसरों की मदद करना शुरू करेंगे हमें जीवन में संतुलन नजर आने लगेगा । क्‍योंकि किसी चीज को बांटने पर आपका दिल खुलता है और आप अच्‍छा फील करते हैं। किसी की मदद करने के बाद मिलने वाले आनंद की अनूभूति अमूल्‍य होती है । जब किसी की मदद करने की बात आती है तो हम सिर्फ आर्थिक मदद के बारे में सोचते हैं। कुछ लोग सोचते हैं कि हमारे पास इतने पैसे नहीं हैं कि हम दूसरों क

अपना भविष्‍य देखने का सबसे अच्‍छा तरीका है 'इसे खुद बनाएं'

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हम सभी अपने जीवन में सफल और सुखद भविष्‍य चाहते हैं । हम कभी भविष्‍य को लेकर चिंता करते हैं तो कभी योजना बनाते हैं । कभी बहुत सकारात्‍मक होकर सारी चिंताओं को भूल जाते हैं तो कभी आशंकाओं से भयभीत हो जाते हैं । कई बार ज्‍योतिषियों के पास जाकर अपना भविष्‍य जानने की कोशिश भी करते हैं । इन सबके बीच मेरे पास एक आसान तरीका है , जिससे आप अपना भविष्‍य जान सकते हैं , जी हां और यह तरीका है '' स्‍वयं अपने भविष्‍य का निर्माण करना '' । अपना भविष्‍य देखने का सबसे अच्‍छा तरीका है ' इसे खुद बनाएं ' । जब आप इसे पूरी शिद्दत से  बनाएंगे तो यह बिलकुल वैसा ही बनेगा जैसा आप इसे देखना चाहते हैं। इसमें सबसे बड़ी बात यह होगी कि आप पहले ही जान जाएंगे कि आपका भविष्‍य क्‍या होने वाला है। अगर आप भी चाहते हैं कि आपका भविष्‍य आपको पता चल जाए तो जिस कार्य में आप अपना भविष्‍य जानना चाहते हैं । स्‍वयं के साथ उस कार्य के वर्तमान का अध्‍ययन कीजिए। जैसे अगर आप परीक्षा परिणाम , कॉलेज चयन , पेशा या व्‍यापार में स्‍वयं का भविष्‍य जानने की इच्‍छा रखते हैं तो स्‍वयं के साथ इसके संबंध का अध्‍ययन

आपकी लाइफ को कोई बदल सकता है तो ''वह सिर्फ आप हैं''

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  अक्‍सर आपकी लाइफ का रिमोट दूसरों के हाथ में रहता है। कभी पिता , कभी पति तो कभी बच्‍चे । आप इनकी जिंदगी को संवारते हुए अपनी जिंदगी को देख ही नहीं पातीं। कभी संस्‍कार , कभी एमोशन तो कभी प्‍यार की दुहाई देकर आपके पैरों में बेडि़यां बांध दी जाती हैं और आप इन्‍हें अपनी जिंदगी का हिस्‍सा मान लेती हैं , जी हां मैं बात कर रहा हूं आपकी , यानी एक महिला की । अक्‍सर आप जीवन की ऐसी गाड़ी में सवार रहती हैं , जिसके ड्रायवर को यह नहीं पता कि आपकी मंजिल क्‍या है , आपके सपनें क्‍या हैं और आपको जाना कहां हैं । आपके यह हालात तब तक ऐसे ही रहने वाले हैं जब तक आप अपनी लाइफ का स्‍टेरिंग खुद नहीं थामेंगीं। क्‍योंकि अगर आपकी लाइफ को कोई बदल सकता है तो वह सिर्फ आप हैं। महिलाएं अपने जीवन में अलग-अलग किरदार निभातीं हैं । इन किरदारों में अलग-अलग जिंदगी जीती हैं लेकिन इन किरदारों को निभाने में अपना असली किरदार भूल जाती हैं । उन्‍हें हमेशा लगता है कि वह किसी न किसी पर निर्भर हैं । महिलाओं के जीवन में समस्‍या है कि वह खुद को मझधार की नैया समझती हैं , जबकि वह मझधार की नैया को पार लगाने वाली पतवार हैं । उनक