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जीवन के अंधकार में रोशनी है "गुरु"

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  इस संसार में हर व्यक्ति कुछ न कुछ सीखता है। हर पीढ़ी और हर युग से यह क्रम निरंतर चल रहा है। हम सभी किसी कला को, किसी विज्ञान को या जीवन के सत्य को समझने का प्रयास करते हैं और इस प्रयास में जो हमारा मार्गदर्शन करते हैं, वह गुरु है। जीवन के अंधकार में जो रोशनी दिखा दे वही गुरु है। हमारे कई गुरु हो सकते हैं, हमारे ईष्ट जिनकी हम पूजा करते हैं, हमारे माता-पिता जो हमें संस्कार देते हैं, हमारे शिक्षक जो हमें पढ़ाते हैं  लेकिन इन सबके बीच एक ऐसा गुरु भी हमारे साथ होना चाहिए, जो हमारा सलाहकार भी हो और मार्गदर्शक भी। यह वो गुरु हो जो आपकी परिस्थिति को समझकर आपकी मन:स्थिति को सही दिशा में ले जाए, इसके अलावा बाकी सब केवल उपदेश हैं। गुरु की महिमा को समझने के लिए आपको यह जानना होगा कि अंधकार क्या है। वास्तव में अंधकार का अपना कोई अस्तित्व नहीं है। केवल रोशनी की अनुपस्थिति ही अंधकार है, अगर रोशनी आ जाए तो अंधकार खुद ही समाप्त हो जाता है। ऐसे ही जीवन में गुरु के आते ही हमारे जीवन का असमंजस समाप्त हो जाता है। हमें अंधेरे में खोए रास्ते पर आगे बढ़ने का मार्ग नजर आने लगता है। गुरु वही है जो आपके रा

चलना तो शुरू कीजिए… लोग भी मिलेंगे और कारवां भी बनेगा

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  मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंजिल मगर , लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया… मजरूह सुल्‍तानपुरी का यह मशहूर शेर आप सभी ने सुना होगा और राजनीतिक आंदोलनों , समाज सुधार व नवाचारों में इसकी बानगी को भी महसूस किया होगा लेकिन अगर हम इसकी गहराई में जाएं तो हमारे जीवन में बदलाव , नवाचार और प्रयासों को भी यह शेर काफी प्रभावित करता है । अगर आप भी अपने जीवन के आयामों को परिवर्तित करना चाहते हैं , कुछ नया करना चाहते हैं या किसी की मदद करना चाहते हैं लेकिन समय व संसाधनों की कमी के कारण खुद को अकेला महसूस कर रहे हैं तो रूकिये मत , बस ठान लीजिए और चलना शुरू कीजिए… लोग भी मिलेंगे और कारवां भी बनेगा । एक बात में स्‍पष्‍ट कर दूं कि जब तक आपको जीवन में सफलता मिल रही है या आप खुश हैं तो परिवर्तन की ओर आपका ध्‍यान नहीं जाएगा लेकिन अगर जीवन में कभी जज्‍बात गमगीन हों , कभी रिश्‍ते उधड़ रहे हों , कभी आसपास सिर्फ अंधेरा हो , कभी साथ में कोई नजर नहीं आ रहा हो , कभी रंगीन चश्‍में के पीछे आंखों के आंसू छीपे हों , कभी किसी को कुछ समझाना मुश्किल हो जाए , कभी जब जीवन में कोई रंग नजर न आए , जब खुद को हारा हुआ

अगर स्‍मार्ट वर्क करना है तो ऐसे करें अपने टाइम को मैनेज

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हम अक्‍सर अपने रूटिन में इतने इन्‍वॉल्‍व हो जाते हैं कि रिश्‍ते , दोस्‍त , हॉबी और हमें छोटी-छोटी खुशियां देने वाली चीजों को हम टाल जाते हैं या फिर उनके बीच होते हुए भी विचारों से कहीं ओर खोए हुए रहते हैं । हमें लगता है कि हम बहुत बिजी हैं और हमारे पास बिलकुल भी टाइम नहीं हैं … लेकिन अगर गहराई से सोचें तो सोशल मीडिया , राजनीतिक चर्चा , केवल विचारों में खोए रहने और गैर जरूरी प्‍लानिंग में हम दिन का काफी समय खत्‍म कर देते हैं । ऐसे में जरूरी चीजों के लिए यह कहना कि  ' मैं बिजी हूं '   और ' टाइम नहीं हैं ' दुनिया के सबसे खतरनाक शब्‍द हैं , जो हमें कमजोर और दूसरों से दूर कर देते हैं । अगर आप स्‍मार्ट वर्क करना चाहते हैं तो चलिए जानते हैं कि टाइम को कैसे मैनेज करें। टाइम मैंनेजमेंट को जानने के लिए हमें सबसे पहले टाइम के व्‍यवहार को जानना होगा । टाइम यानी समय को लेकर हम सबके विचार अलग-अलग होते हैं । कोई किसी की प्रतीक्षा कर रहा होता है तो उसे एक पल एक दिन के समान लगता है , कोई कहीं जाने के लिए लेट हो रहा होता है तो उसे लगता है कि समय दौड़ रहा है । प्रसन्‍नता में समय तेज

जीवन में ऐसे काम करो कि ''खुद से नजर मिला सको''

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  जीवन में हम हमेशा ही अपनी इच्‍छाओं के पीछे भागते रहते हैं , हम हर काम अपने प्‍लेज़र को बढ़ाने और पे न को कम करने के लिए करते हैं । कई बार हम इच्‍छाओं को पूरा करने के लिए अनजाने में ही अपनी सीमाओं को पार कर देते हैं । यह सीमाएं वैचारिक , पारिवारिक या सामाजिक हो सकती हैं । ऐसे हालात में हमें खुद ही अंदाजा नहीं रहता कि हम किस रास्‍ते पर आगे बढ़ रहे हैं लेकिन कई बार जब तक हम इसे समझ पाते हैं तब तक बहुत देर हो जाती है और हमें अपने ही कार्यों पर पछतावा होने लगता है। इससे बचने के लिए जीवन में अपने नियम बनाना और इंद्रियों पर काबू करना जरूरी है। याद रखिए कि जीवन में  ऐसे ही  काम करें कि हमेशा खुद से नजर मिला सकें। आपने जीवन में कई खेल खेले होंगे क्रिकेट , फुटबॉल , कैरम या शतरंज । अब जरा याद कीजिए कि इन खेलों में जीत-हार कौन तय करता है। शायद आप सोच रहे होंगे खेल में प्रदर्शन , आत्‍मविश्‍वास और कौशल यह फैसला करते हैं लेकिन यह गलत है , जब आप गहराई से सोचेंगे तो आपको पता चलेगा कि हर खेल   में जीत-हार तय करते हैं उस खेल के नियम । जिस तरह नियमों के अभाव में किसी खेल की जय-पराजय का निर्णय नहीं ल