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जीवन में सुकून देगा "मन से संवाद"

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हम सभी को जीवन में शांति चाहिए। कभी हम इसे संसार में ढूंढते हैं तो कभी संन्‍यास में, कभी ध्‍यान में ढूंढते हैं तो कभी भजन में लेकिन जहां हम इसे ढूंढने जाते हैं मन कहता है कि शांति यहां नहीं वहां मिलेगी। असल में मन का स्‍वभाग ही हमें भ्रमित करना है, मन का स्‍वभाव ही है कि वह कहीं लगता नहीं, इसलिए मन को कहीं लगाने की कोशिश मत कीजिए। मन को समझने की कोशिश कीजिए और उससे संवाद कीजिए। तभी जीवन में आत्‍मीय शांति मिलेगी। असल में हमारा मन रियालिटी और इमेजिनेशन में फर्क नहीं कर पाता, जैसे हम कोई सपना देखते हैं तो हम घबरा जाते हैं, पसीना आने लगता है, कभी-कभी तो हम चिल्‍लाने भी लगते हैं। हमारा मन इमेजिनेशन में भी हमारी बॉडी के साथ वैसा ही स्‍वभाव करता है जैसा रियालिटी में करता है। जैसे ही हमारा सपना खत्‍म होता है या नींद खुलती है तो हम वास्‍तव‍िकता को रिकॉल करते हैं और नॉर्मल हो जाते हैं, बस ऐसा ही हमें जीवन के साथ करना है। अगर आपके साथ कुछ बुरा हुआ, आपसे कोई गलती हुई या कोई बात आपके मन को कचोट रही है तो यह याद रखिए कि बीते हुए कल की बात को न हम बदल सकते हैं और न ही वह हमारे वर्तमान को प्रभावित कर

ऐसे अ‍पडेट करें अपने दिमाग के सॉफ्टवेयर को

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हम सभी अपने जीवन में सुख पाना चाहते हैं ,  जीवन की भागदौड़ के बीच अपने सपनों की चाहत को सुख मानकर उनके पीछे भागते हैं। लोगों को लगता है कि उनके सपने पूरे होने की अनुभूति ही सच्‍चा सुख है लेकिन यह गलत है ,  बल्कि यह उस प्रकार है   जैसे मृग कस्‍तूरी की खूशबू के पीछे सारी जिंदगी भागता है लेकिन वह कस्‍तूरी उसी के अंदर होती है। इसी तरह खुशियां हमारे अंदर हैं   लेकिन हमारे दिमाग में जो सॉफ्टवेयर है वह हमें हमारी उपलब्धियों ,  सकारात्‍मकताओं और हासिल चीजों की जगह वह दृश्‍य दिखाता है जो हम हासिल नहीं कर पाए ,  फिर हम दुखी होते हैं और सुख की तलाश में भागने लगते हैं।   ऐसे में हम दिमाग का सॉफ्टवेयर अ‍पडेटकर   सच्‍ची खुशी हासिल कर सकते हैं। हम कई बार सोचते हैं कि हमें अपनी ड्रीम वाइफ – ड्रीम हस्‍बेंड ,  ड्रीम जॉब ,  ड्रीम डिग्री ,  ड्रीम कार ,  ड्रीम मोबाइल या अन्‍य संसाधन चाहिए तब हम सच्‍ची खुशी हासिल करेंगे लेकिन अपनी   लाइफ को फ्लैशबैक करके देखेंगे तो पता चलेगा कि इनमें से कई चीजें हासिल करने के बाद क्‍या हमें सच्‍ची खुशी मिल गई ,  अधिकांश का जबाव होगा नहीं ,  क्‍योंकि जब तक हम किसी चीज को प