कर्तव्य निभाए बिना नहीं मिल सकता 'अधिकारों का आनंद'
हम देश की आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर चुके
हैं, आजादी के इस जश्न की
हम सभी ने एक-दूसरे को बधाई दी,
राष्ट्रगान गाया, कार्यक्रम भी किए, क्योंकि आजादी शब्द ही ऐसा है जो हमें स्वच्छंदता
का अहसास कराता है। स्वतंत्रता शब्द सुनते ही हमें अपने अधिकारों का अनुभव होने लगता
है लेकिन हम अपने अधिकार पाने की दौड़ में कई बार इस सीमा तक चले जाते हैं कि कर्तव्यों
का बोध ही भूल जाते हैं, ऐसे में हमारे नैतिक
जीवन का संतुलन बिगड़ जाता है। अधिकार हमारे लिए जरूरी हैं लेकिन कर्तव्य निभाए बिना
हम स्थायी रूप से अधिकारों का आनंद नहीं ले सकते।
अधिकार और कर्तव्य एक-दूसरे के सहगामी हैं, यह स्पष्ट करने के लिए मैं आपको एक कहानी
सुनाता हूं। एक बार एक गांव में चार मित्रों ने साझेदारी में गाय खरीदी। यह तय हुआ
कि प्रतिदिन एक-एक साझेदार उस गाय को रखेगा। प्रतिदिन हर व्यक्ति उस गाय का दूध निकाल
लेता लेकिन उसे चारा नहीं खिलाता,
वह सोचता कि कल
वाले साझेदार ने चारा खिलाया ही होगा और कल फिर उसे चारा मिल जाएगा तो मैं गाय को चारा
नहीं भी खिलाऊंगा तो क्या फर्क पड़ेगा। यह बात चारों साझेदार सोचते गए और किसी ने
उसे चारा नहीं खिलाया, ऐसे में वह गाय दुर्बल
होती गई और फिर उसकी मौत हो गई। ऐसे में चारा खिलाने (कर्तव्य) की अनदेखी में केवल दूध (अधिकार) चाहने वाले लंबे समय
तक अधिकार का आनंद नहीं ले सके। ऐसा ही हमारे साथ होता है, जब हम कर्तव्यों को छोड़कर केवल अधिकार मांगना चाहते हैं। इसलिए
अपने कर्तव्य जरूर निभाईये,
देश के प्रति, समाज के प्रति, परिवार के प्रति।
कर्तव्य निभाने के लिए यह करें
-
नदियों को साफ मत कीजिए केवल उन्हें गंदा करना बंद
कर दीजिए, साफ तो वो खुद ही हो
जाएंगी।
- जंगल मत उगाइए, बस पेड़ काटना बंद कर दीजिए, जंगल खुद ही विकसित हो जाएंगे।
-
भ्रष्टाचारियों को मत कोसिए केवल खुद भ्रष्ट आचरण
करना बंद कर दीजिए, हर कोई यह ठान ले तो
समाज स्वच्छ हो जाएगा।
-
परिजनों को परिवार की जिम्मेदारी का अहसास मत कराईये, केवल स्वयं परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारी
निभा दीजिए।
-
अपने आसपास के क्षेत्रों में अगर गंदगी है तो स्वयं
सफाई कर दीजिए, आपको अपने आप लोगों का
सहयोग मिलेगा।
-
बच्चों को पैसा भले ही कम दीजिए लेकिन नैतिकता और
संस्कार भरपूर दीजिए, पैसा वह खुद कमा लेंगे।
- शांति स्थापित करने की कोशिश मत कीजिए केवल अशांति फैलाना बंद कर दीजिए। शांति खुद ही आ जाएगी।
- अपने आपको केवल अच्छा इंसान बनाने का कर्तव्य निभाईये, इसके बाद हर अधिकार आपको आनंद देने लगेगा।
Jai Hind Bhaiyya
जवाब देंहटाएंजबरदस्त
बहुत सुंदर सुमित जी आपने लिखा है अधिकार कर्तव्यों के बिना चाहने पर किस प्रकार हमारा अस्तित्व मिट सकता है इसके प्रति आपने बहुत अच्छे से सजग किया
जवाब देंहटाएंएकदम ठीक बात कर्त्तव्य किये बिना अधिकार पाना ही बेमानी है, इसी तरह कुछ लोग सुविधाओं को अधिकार समझने की भी गलती करते है, अच्छे विचार है सुमित 👍
जवाब देंहटाएं