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क्या आप खुशियों को भी टालते हैं कल पर

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                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                      संत कबीर दास जी का एक दोहा है काल करे सो आज कर , आज करे सो अब... इसमें उन्होंने अपने कामों को कल पर नहीं टालने की सलाह दी है , खैर मैं आज काम को लेकर बात नहीं कर रहा बल्कि बात कर रहा हूं टालने को लेकर। जी हां किसी चीज को टालने को लेकर हम एक आदत बना लेते हैं कभी पढ़ाई , कभी काम , कभी जिम्मेदारी तो कभी ओर कुछ लेकिन इस टालने की आदत के बीच हम कब अपनी खुशियों को टालने लगते हैं हमें पता ही नहीं चलता। हमारे जीवन में ऐसे सैकड़ों पल आते हैं जिन्हें हम इंजाॅय कर सकते हैं लेकिन टालने की आदत के कारण हम इन खुशियों को भी टालने लगे हैं , तो चलिए आज समझते हैं कि कैसे हम टाल रहे हैं खुशियों को और कैसे हम अपनी खुशियों को टालने की जगह उन्हें जीना सीख सकते हैं। चलिए

जीवन निर्माण की अभिव्यक्ति हैं "पिता"

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  कोई आपको जीवन में आगे बढ़ने का हौंसला देता है तो कोई शुभकामनाएं , कोई शिक्षा देता है तो कोई प्रशिक्षण , कई लोग आपकी कामयाबी के लिए प्रार्थना भी करते हैं लेकिन पूरी दुनिया में एक ही ऐसा इंसान है जो आपको खुद से ज्यादा कामयाब देखना चाहता है ‘ वह है पिता ’ । जी हां अप्रदर्शित अनंत प्रेम की वह परिभाषा जिसे समझने में हमारी आधी जिंदगी बीत जाती है। पिता का प्रेम हमें दिखाई नहीं देता लेकिन हमारी बुनियाद मजबूत करता है। मां अगर हमें पैरों से चलना सिखाती है तो पिता पैरों पर खड़े होना। तो चलिए आज फादर्स डे पर बात करते हैं हमारे जीवन में पिता की भूमिका पर। पिता के नाम से ही हम दुनिया में अपनी पहली पहचान पाते हैं और हमारी सफलता और प्रतिष्ठा भी उन्हीं की बदौलत होती है , क्योंकि भविष्य की उंचाईयों के लिए वे हमारी नींव को मजबूत करते हैं। वे हमारी जड़ों को सींचते हैं जिससे हमारे जीवन में सफलता के फल और प्रतिष्ठा के फूल खिल सकें। सरल शब्दों