रास्तों से कर लो दोस्ती, आसान हो जाएगी जिंदगी
आपने सुना होगा कल ओर आएंगे हमसे बेहतर कहने वाले, तुमसे बेहतर सुनने वाले... हर कोई किसी न किसी की जगह लेता है। कल हमसे पहले कोई यहां था और कल हमारे बाद भी यहां कोई रहेगा। क्योंकि हम कहीं थे और हम कहीं होंगे यह दोनों ही बातें कल्पनाओं की हैं। असल में माजरा बस उस समय का है जो अभी आपके पास है। हम हमेशा मंजिल के उत्साह और उल्लास की कल्पनाओं में रास्तों के आनंद को भूला देते हैं, जबकि असली जिंदगी तो रास्तों में ही है। यहां मंजिल तक पहुंचने का क्रेज भी होता है ठोकरों से मिलने वाला नॉलेज भी और रास्तों के दौरान किया एक्सपीरियंस भी। तो बस रास्तों से कर लीजिए दोस्ती तो आसान हो जाएगी आपकी जिंदगी।
जरा सोचिए जब आप अपने परिवार या दोस्तों के घर हुए किसी समारोह को याद करते हैं तो सबसे रोचक यादें कौन सी होती हैं, वह होती हैं तैयारियों के दौरान की गई मस्ती, शॉपिंग के दौरान एक्साइटमेंट और कुछ चीजें फाइनल करने के दौरान की खट्टी-मीठी नौंक-झौंक। इसी तरह जब कहीं घूमने जाते हैं तो ट्रेन, बस या कार में हुई ठिठोली, किसी मंदिर या महल की लंबी चढ़ाई के दौरान एक-दूसरे का सहारा बनना या यहां किया गया हंसी-मजाक। इसी तरह बोर्ड परीक्षा, कॉलेज की फाइनल एक्जाम या कॉम्पिटिटिव के लिए पढ़ाई इस दौरान हुई मस्ती और अनुभव हमेशा हमें याद आते हैं या चर्चा में रहते हैं।
इसके मुकाबले हम जिन्हें मंजिल कहते हैं यानी किसी
फंक्शन की पार्टी, शादी का रिसेप्शन, महल की खूबसूरती, परीक्षा का दिन, पेपर का फॉर्मेट या रिजल्ट को
लेकर ज्यादा चर्चा नहीं होतीं। अगर आप स्वयं अपने जीवन को रिकॉल करेंगे तो समझ
जाएंगे कि मंजिल से अधिक हमेशा रास्ते याद आते हैं। अगर आप यह समझ गए तो आपके लिए
यह स्पष्ट हो जाएगा कि हमारे जीवन का 95 प्रतिशत हिस्सा केवल रास्ते हैं और महज 5 प्रतिशत मंजिल। क्योंकि एक
मंजिल मिलने के कुछ देर या कुछ दिन बाद ही अगली मंजिल के लिए हमारा रास्ता शुरू हो
जाता है। ऐसे में अगर हमने रास्तों से दोस्ती कर ली तो हमारी जिंदगी आसान भी हो
जाएगी और हम इसे जिंदादिली से जी भी सकेंगे, क्योंकि हम समझ जाएंगे कि असली जिंदगी तो रास्तों
में ही है।
आप छात्र हों, नौकरीपेशा या व्यापारी। किसी भी लक्ष्य या मंजिल को
सबसे पहले तय कर लें। अब इसके रास्ते पर चलना शुरू कर दें रास्ते का आनंद लें यहां से ज्ञान भी लें और
अनुभव भी।
अगर आप छात्र हैं तो दोस्तों के साथ मस्ती पढ़ाई के दौरान जिज्ञासा और इस दौरान के अनुभवों को खुलकर जीयें। अपनी पढ़ाई के लक्ष्य को केंद्रित रखें लेकिन लक्ष्य के पीछे मौजूदा जीवन के आनंद को बिलकुल न भुलाएं।
अगर आप नौकरीपेशा हैं और किसी दूसरी कंपनी में या
किसी दूसरे पद पर जाना चाहते हैं तो उसे पाने के लिए हरसंभव प्रयास करें मेहनत करें लेकिन जिस पद पर
हैं उसकी जिम्मेदारियों को न भुलाएं लक्ष्य पाने के उत्साह में रहें न कि फस्ट्रेशन में।
अपने परिवार और स्टाफ के साथ मौजूदा हालातों का मजा भी लें और अनुभव भी।
अगर आप व्यापारी हैं और अपने व्यापार को बड़ा करना
चाहते हैं तो लक्ष्य पर बने रहें उसके लिए जरूरी संसाधन जुटाते रहें, वह व्यापार कर रहे लोगों से
अनुभव लें लेकिन अपने मौजूदा कारोबार में निरसता न लाएं, बार-बार यह न कहें कि वह होगा
तब खुश रहूंगा बल्कि यह सोचें कि खुश रहेंगे
तो सबकुछ हो जाएगा।
अक्सर आप लोग सोचते होंगे कि
हमारे जीवन के रास्ते तो बढ़े अनसैटल हैं। तो मैं बस एक बात कहूंगा। आपने ईसीजी का
कार्डियोग्राफ देखा है जब तक वह अनसेटल है तब तक आपकी लाइफ सेटल हैं जैसे ही वह सेटल हो गया तो
आपकी लाइफ अनसेटल हो जाएगी। यही हिसाब जीवन के हर रास्ते पर लागू है अब चलते जाईये और लाइफ का मजा
लीजिए।
आप छात्र हों, नौकरीपेशा या व्यापारी। किसी भी लक्ष्य या मंजिल को सबसे पहले तय कर लें। अब इसके रास्ते पर चलना शुरू कर दें रास्ते का आनंद लें यहां से ज्ञान भी लें और अनुभव भी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लेखन
बढ़िया
जवाब देंहटाएंपथ मार्ग पर चलने का आज जो आपने अनुभव दिया है यकीनन बहुत ही सुंदर शानदार जीवन में लाभदायक साबित होगा
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