अमीर बनने के लिए करना होगी माइंड की कंडिशनिंग…

 

हम सब ऐसी लाइफ जीना चाहते हैं कि जब भी शॉपिंग करने के लिए बाजार जाएं तो कोई चीज पसंद आने पर कभी प्राइज टैग नहीं देखना पड़े लेकिन क्या हम इसके लिए कोई व्यवहारिक प्रयास करते हैं... नहीं क्योंकि हमारा माइंडसेट ही वैसा नहीं है। हमारे दिमाग की कंडिशनिंग ऐसी है कि हम यह नहीं सीखना चाहते कि अमीर कैसे होते हैं, बल्कि यह सोचने लगते हैं कि गरीबी में जीते कैसे हैं या एडजस्ट कैसे करते हैं। यकीन मानिए एक बार इस एडजस्टमेंट की आदत पड़ गई तो आप कभी आगे नहीं बढ़ पाएंगे। आपको जरूरत है अपनी वैल्यू बढ़ाने की और अपने माइंड की कंडिशनिंग करने की। अगर आप इन दोनों काम को करने में सफल हो गए तो आपको अमीर बनने से कोई नहीं रोक सकता।

दुनिया में मनी मैंनेजमेंट से संबंधित जीतने सिद्धांत हैं, उनका सार यह है कि अमीर व्यक्ति कभी पैसों के लिए काम नहीं करता, बल्कि पैसा उसके लिए काम करता है। अब आप सोच रहे होंगे कि पैसा किसी के लिए कैसे काम कर सकता है, मैं समझाता हूं हम में से अधिकांश लोगों की सोच होती है कि अच्छी पढ़ाई बड़ा कॉलेज, फिर बड़ी नौकरी, अच्छी शादी, फिर स्टेटस के हिसाब से लोन लेकर घर, क्रेडिट कार्ड लेकर लाइफ स्टाइल के अनुसार खर्चे और एक बार यह सब फिक्स हो जाए तो उसी नौकरी में फंसे रहना, क्योंकि अगर कुछ बदलने का सोचेंगे तो यह सब खर्चे कैसे चलेंगे। यह पूरी प्रक्रिया है जिसमें हम पैसे के लिए काम करते हैं। अब दूसरी स्थिति अमीर लोग पहले एसेट बनाते हैं फिर कम्फर्ट की चीजें खरीदते हैं। पैसा कमाने के बाद घर-कार या विलासिता की चीजें खरीदने की जगह निवेश करना, जहां से आपकी आमदनी शुरू हो सके, निवेश स्टॉक, रियल स्टेट या प्रापर्टी में भी हो सकता है या फिर छोटे से किसी बिजनेस स्टार्टअप में भी। इनमें से एक भी सिस्टम अगर आपने सेट कर लिया तो पैसा आपके लिए कमाई करना शुरू कर देगा।

आपने जीवन में एक चीज जरूर महसूस की होगी कि यार पूरी सैलरी खत्म हो गई लेकिन पता ही नहीं चला कि पैसा कहां गया। इसे कहते हैं फाइनेंशल इनलिट्रेसी। हम कितना भी कमाते हों 5 हजार या 5 लाख। जब तक हम मनी मैनेंजमेंट नहीं समझेंगे हमारा सारा पैसा कैसे खर्च हो जाएगा पता ही नहीं चलेगा। असल में हमारी लाइफ में जो सबसे बड़ी समस्या है वह है मनी मैंनेजमेंट की। हमें पता ही नहीं है कि पैसों को खर्च कैसे करना है, क्योंकि हमारी शिक्षा प्रणाली में कभी यह सीखाया ही नहीं जाता। ऐसे में अमीर ओर अमीर होते जाते हैं और गरीब ओर गरीब। हमें यह तो बताया जाता है कि जिनती चादर है उतने ही पैर फैलाना चाहिए लेकिन यह नहीं सीखाया जाता कि चादर को बड़ा कैसे किया जा सकता है। हमें बस इस बात पर फोकस करना है कि हम इस चादर को बड़ा कैसे करें।

ऐसे होगी हमारे माइंड की कंडिशनिंग


अगर कोई कंपनी आपको 20 हजार रूपए प्रतिमाह वेतन दे रही है तो वह कंपनी किसी को दो लाख रूपए प्रतिमाह भी दे रही है, अगर किसी बिजनेस या सर्विस से आप 50 हजार रूपए कमा रहे हैं तो उसी बिजनेस या सर्विस में कोई 5 लाख भी कमा रहा है। ऐसे में अपनी वैल्यू को बढ़ाने का प्रयास करें और उस लक्ष्य तक पहुंचें।

अंग्रेजी में एक प्रचलित कहावत है ‘‘रिच इनवेंट मनी‘‘ यानी अमीर लोग पैसों का अविष्कार करते हैं। यह बिलकुल सही है, अगर आपके पास कोई विचार है कोई योजना है तो उसे तत्काल व्यवहार में लाएं और इस सृजनात्मकता को रचनात्मक ढंग से पूरा करने में जुट जाएं। 

आपकी सैलरी या व्यापार से आमदनी कितनी भी हो, उसे 6 भागों में बांट लें। पहली 70 प्रतिशत राशि मासिक खर्च के लिए अलग रखें, शेष राशि को पांच समान हिस्से करें। निवेश, सेविंग, ज्ञान, मनोरंजन और दान।

बच्चों की तरह एक गुल्लक बनाएं और रोज उसमें कुछ पैसे डालें, भले ही 1 रूपया डालें, जब आप ऐसा करेंगे तो बार-बार उस ओर ध्यान जाएगा और याद रखिए ध्यान जिस ओर जाता है, सक्सेस वहीं से आती है।

निर्णय लेने की क्षमता को विकसित करें। कई बार जीवन में आगे बढ़ने में सबसे बड़ी बाधा आती है लेक ऑफ डिसिजन। या तो हम निर्णय लेने में देरी कर देते हैं या फिर हम जल्दबाजी में निर्णय लेते हैं। कोशिश करें कि सोच-विचार के निर्णय लें लेकिन उस पर बने रहें।

अपने डे जॉब या व्यापार के साथ एक अलग काम करना भी शुरू करें। जिससे भले ही काम आपकी कमाई कम हो लेकिन एक अतिरिक्त इनकम शुरू हो जाए। जैसे शेयर, प्रापर्टी का किराया, कोचिंग, रियल स्टेट इनवेस्टमेंट या कोई बिजनेस स्टार्टअप।

हम सब अमीर होना चाहते हैं लेकिन केवल विशफुल थिंकिंग में लेकिन अगर हमें वास्तव में अमीर बनना है तो हमें अमीर होने के लिए अपने अंदर एक बर्निंग डिजायर बनाना होगा, हमें यहां पैसों के डिजायर पर नहीं जाना है बल्कि खुद को कैपेबल बनाने के डिजायर पर जाना है।


टिप्पणियाँ

  1. वाह क्या बात है सुमित जी आज तो आपने पूरा दिमाग हिला डाला यकीनन इन सब बातों को सोच कर जो अंतर आत्मा में जो विचार थे जो कुछ करने का सोचते थे यकीनन आज यह पढ़कर ध्यान आकर्षित हुआ है बहुत ही अच्छे शब्द बहुत अच्छा मार्गदर्शन

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