यह सिर्फ धागा नहीं, जीवन भर का सबसे मजबूत सहारा है

लाइफ का बैकअप है स्नेह का यह बंधन

“मेरा स्नेह और मेरी दुआएं सदा तेरे संग रहें, मैं तेरी खुशियों को अपनी हर सांस से सजाता रहूँ।”

यादों की किताब का सबसे खूबसूरत पन्ना वही होता है, जिसमें भाई-बहन की तस्वीर हो। उसमें शरारतें भी होती हैं और एक-दूसरे की ढाल बनने का वादा भी। माँ अगर हमारी पहली गुरु है, तो भाई-बहन हमारे पहले और सबसे सच्चे दोस्त हैं। वो बहन, जो पापा की डांट से पहले भाई को बचा ले, और भाई, जो बहन की हर उलझन बिना कहे सुलझा दे।
जब बहन मुस्कुराती है, तो भाई का दिन रोशन हो जाता है; और जब बहन की आँख में आँसू आता है, तो भाई दुनिया से लड़कर भी उसे हँसाने की वजह ढूंढ लाता है।
स्नेह के इन धागों से बुना यह रिश्ता हमारी ज़िंदगी का अटूट विश्वास है, हर मुश्किल में चुपचाप साथ खड़ा रहने वाला सहारा।
जरूरी है कि हम एक-दूसरे की खुशियों पर दिल खोलकर झूमें और ग़म का साया पड़ते ही सबसे पहले गले लगाने पहुंचें। तभी यह बंधन स्नेह, विश्वास और सुरक्षा का सच्चा प्रतीक बनता है।
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हमारे पास आलीशान मकान, अच्छी सैलरी और हजारों सोशल मीडिया फॉलोअर्स हो सकते हैं, लेकिन जब दिल भारी हो, तो मन की सबसे गहरी बात कहने के लिए पहला नाम भाई या बहन का ही आता है।

यह वो रिश्ता है, जिसमें बचपन जैसे छोटे-छोटे झगड़े भी हैं और भावनाओं का गहरा समंदर भी।
कोई ऐसा, जो हमारी खामोशी पढ़ ले, पसंद-नापसंद जानता हो, हर सुख-दुख में सबसे पहले दरवाज़े पर खड़ा मिले और कहे “घबराना मत, मैं हूँ न!”। रेशम की डोरी में बंधा यह रिश्ता मजबूती में लोहे की ज़ंजीरों से भी अधिक है। कुछ रिश्ते अनमोल होते हैं, और भाई-बहन का रिश्ता उनमें सबसे खास है।
यह कभी पिता बनकर हिम्मत देता है, कभी माँ की तरह आँचल में छुपा लेता है, कभी दोस्त बनकर सारे ग़म भुला देता है, तो कभी बच्चे की तरह हमारी गोद में सिमट जाता है।
अगर इसे प्यार और भरोसे से सींचा जाए, तो सावन की पूर्णिमा को आने वाला यह पर्व जीवन भर ठंडक और हरियाली देता रहेगा।
कैसे सहेजें इस अनमोल बंधन को
जीवन की राहें कितनी भी व्यस्त हों, रक्षाबंधन पर कुछ पल के लिए भाई-बहन के पास जरूर जाएं।
इतनी दूरी न आने दें कि भाई की कलाई सूनी रह जाए और बहन की आंखें इंतजार करती रह जाएं।
रक्षाबंधन का दिन सिर्फ एक रस्म “निभाने” का नहीं, बल्कि बचपन की यादों में लौटकर इस रिश्ते को फिर से “जीने” का दिन है।
अगर रिश्ते में कोई गांठ है, तो आज उसे खोलने का सबसे सही समय है।
पास न आ पाएं तो फोन पर बचपन का कोई किस्सा सुनाएं, यकीन मानिए यह हर तोहफ़े से कीमती होगा।
स्नेह का यह बंधन महंगे तोहफ़ों या पैसों से नहीं, बल्कि एक-दूसरे को समझने, सहारा देने और साथ निभाने के वादे से मजबूत होता है।
आज चाहे आप पास हों या दूर, अपने भाई या बहन से बस इतना कह दीजिए —
“तुम मेरे जीवन का वो हिस्सा हो, जिसके बिना मैं अधूरा हूँ। हमारा यह प्यार का रिश्ता हमेशा ऐसा ही बना रहे।”
आपका – सुमित

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