क्या आप खुशियों को भी टालते हैं कल पर

                      


                                                                                                                                                                                                                                                                                                                              

संत कबीर दास जी का एक दोहा है काल करे सो आज कर, आज करे सो अब... इसमें उन्होंने अपने कामों को कल पर नहीं टालने की सलाह दी है, खैर मैं आज काम को लेकर बात नहीं कर रहा बल्कि बात कर रहा हूं टालने को लेकर। जी हां किसी चीज को टालने को लेकर हम एक आदत बना लेते हैं कभी पढ़ाई, कभी काम, कभी जिम्मेदारी तो कभी ओर कुछ लेकिन इस टालने की आदत के बीच हम कब अपनी खुशियों को टालने लगते हैं हमें पता ही नहीं चलता। हमारे जीवन में ऐसे सैकड़ों पल आते हैं जिन्हें हम इंजाॅय कर सकते हैं लेकिन टालने की आदत के कारण हम इन खुशियों को भी टालने लगे हैं, तो चलिए आज समझते हैं कि कैसे हम टाल रहे हैं खुशियों को और कैसे हम अपनी खुशियों को टालने की जगह उन्हें जीना सीख सकते हैं।

चलिए पहले समझते हैं कि खुशियों को टालना क्या होता है। अगर आप छात्र हैं तो आपको लगता होगा कि डॉक्‍टर, इंजीनियर, सीए बन जाऊं या विदेश में सैटल हो जाउं, फिर खूब खुश रहूंगा। अगर आप व्‍यापारी हैं तो आपको लगता होगा कि बड़ी दुकान.गोदाम या शोरूम बन जाए तो फिर मजे करूंगा। अगर आप नौकरीपेशा हैं तो सोचते होंगे कि एक बड़ा बंगला या कार ले लूं फिर सब बढ़िया हो जाएगा, किसी तरह जीवन में किसी भी सपने, आकांक्षा या चाहत के लिए आप अपनी मौजूदा जिंदगी के हंसी पलों को नजरअंदाज कर देते हैं। अब यहां दो चीजें समझने की हैं। पहली तो यह कि जो भी आपकी चाहतें हैं उन्हें हासिल कर चुके लोगों को देखिये, क्‍या वे सब बहुत खुश हैं? आपको जबाव मिलेगा नहीं, क्‍योंकि उनके इन लक्ष्‍यों को पाते ही जीवन में नई चुनौतियां आ गई होंगी। अब यह तो स्पष्ट है कि केवल कुछ हासिल कर लेना ही खुशी नहीं है, अब इसके दूसरे पहलू को समझिए किसी बड़े लक्ष्य की चाहत में हम मौजूदा समय के हंसी मौसम, बच्चों के साथ खेलना, दोस्तों के साथ पार्टी, मूवी, आउटिंग या अपनी पसंदीदा चीजों से मिलने वाली खुशी के छोटे-छोटे लम्हों को टाल देते हैं। अब इन दोनों बातों से यह समझिए कि कुछ हासिल करने में खुशी नहीं है, खुशी तो आपके अंदर है, यह आपको दिल की आवाज सुनने से मिलेगी।

आज हम हर काम दुनिया को दिखाने के लिए करते हैं, हमारा दिल कुछ ओर करने को कहता है लेकिन दुनिया के सामने अपनी इमेज बनाने के चक्‍कर में हम वैसे बन जाते हैं जैसे हम नहीं हैं। हम वह करते हैं जो दुनिया हमें करते देखना चाहती है। ऐसे में हमारी वास्‍तविकता गुम हो जाती है। कई बार हमारा दिल कहता है कि हम वह करें जो दिल कह रहा है लेकिन सामाजिक ताने-बाने में बुने अपने जीवन में कई बार खुले आकाश की ओर बढ़ते कदमों को हम रोक लेते हैं, ऐसा मत कीजिए, खुल के जीना सीखिए। हर अविष्‍कार, नए विचार और नई राह चुनकर किया गया कार्य पहले लोगों को पागलपन लगता है लेकिन जब आप ऐसी राह पर आगे बढ़ते हैं तो कुछ समय बाद दुनिया आपको फॉलो करती है।

 

मुस्कुराहट को बोलें हाय, घबराहट को बोलें बाय



1. अपने दिल में जो भी अरमान हैं उन्हें पूरा कीजिए, लोग क्या कहेंगे इस बात की चिंता किए बिना अपनी जिंदगी को खुलकर जीयें। मुस्कुराहट को हाय बोलिए और घबराहट को बाय बोलिए।

2. याद रखिये लोगों को आपकी फिक्र नहीं है, उन्‍हें बस आपकी खबर है। आप जीवन में कुछ भी करें उन्‍हें जो कहना है वह कहेंगे ही, इसलिए उनके बारे में सोचना छोड़ दीजिए।

3. जिंदगी अपनी गति से चलती जाएगी लेकिन इसमें जिंदादिली भरना हमारा काम है, अपनी जिंदगी का हाथ थाम लीजिए और जिंदादिली से इसको जीने पर फोकस कीजिए।

4. आप वह करें जो आपका पैशन है, जो आपका दिल कह रहा है, जो आप हमेशा से करना चाहते हैं, जो चीजें खुशी दे रही हैं उन्हें जीवन का हिस्सा बनाएं और जहां दिल नहीं लगता कोशिश करें कि उस जगह से दूर रहें।

5. कुछ समझ नहीं आए तो अपनी भागदौड़ भरी दिनचर्या से थोड़ा सा समय निकालिए, घूमने जाईए, पतंग उड़ाईए, अपनी हॉबी को जीवन में उतारिए, दोस्‍तों से मिलिए, अपने पेशे के साथ वह काम भी कीज‍िए जो आपको खुशी दे, आपको एक अलग ही संतोष मिलेगा।

अगर आप ऐसा करेंगे तो यकीन मानिए आप जिंदगी काटेंगे नहीं इसे जीएंगे क्‍योंकि जीना इसी का नाम है...........आपका सुमित

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