अपने माइनस पॉइंट पता होना सबसे बड़ा प्लस पॉइंट है...


निदंक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय, बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय... मिडिल स्कूल में पढ़ाया जाने वाला यह दोहा अपने अंदर काफी गहराई लिए हुए है। जीवन में इंसान को हमेशा अपनी प्रशंसा सुनना पसंद होती है और अपनी निंदा करने वाले लोगों को वह पसंद नहीं करता लेकिन कबीर दास जी ने इस दोहे के माध्यम से बताया है कि जो हमारी निंदा करते हैं वे हमारे लिए कितने महत्वपूर्ण हैं। हमें निंदकों को अपने पास रखना चाहिए, जिससे वे हमारी कमियां बनाएं और उनमें सुधार कर हम अपने स्वभाव को बेहतर बना सकें। दोस्तों जीवन की एक महत्वपूर्ण बात इससे परिभाषित होती है कि अगर हमें अपने माइनस पॉइंट पता हैं तो यह हमारे जीवन का सबसे बड़ा प्लस पॉइंट है।

यह बात तो हम सभी मानते हैं कि प्रशंसा सभी को पसंद आती है और निंदा से सभी लोग दूर भागते हैं लेकिन अंग्रेजी में एक शब्द है कंस्ट्रक्टिव क्रिटिसिज्म यानी रचनात्मक अलोचना। जी हां अगर आप अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव चाहते हैं तो आप इन आलोचनाओं के लिए तैयार रहें और अगर आपका कोई हितैशी आपको इन बातों से अवगत करा रहा है तो यह मान लें कि वह आपका भला चाहता है, यह जीवन का एक बेहतर अनुभव साबित हो सकता है, आप इन आलोचनाओं को समझ लें। भले ही वह पारिवारिक हों, व्यवहारिक हों, व्यवसायिक हों या सामाजिक... अगर आप इन्हें समझ कर बदलाव के लिए तैयार हो जाते हैं तो आपके जीवन में सकारात्मक रचनात्मक परिवर्तन सकते हैं।

वास्तव में कई बार निंदा या आलोचना हमें गलत साबित नहीं करती केवल हमें सुधार का रास्ता बताती है। यह आलोचनाएं हमारे पांच स्तरों पर काम करती हैं। रिलेशन, प्रोजिशन, ईगो, फाइनेंस और साइकोलॉजी। अगर हम इन्हें समझकर बेहतर अनुमान लगा पाएं और अपने समीक्षक की भावनाओं को समझ पाएं तो यह हमें भविष्य में आने वाली विपत्तियों की कल्पना करा देती हैं। इससे हम अपने रिश्तों को टूटने से बचा सकते हैं, आर्थिक हानी से बच सकते हैं, मानसिक तनाव को दूर कर सकते हैं, अपने पद के अनुसार व्यवहार को बेहतर कर सकते हैं और मजबूती से आलोचनाओं का सामना कर अपने व्यक्तित्व को बेहतर बना सकते हैं।

हर आलोचना को समझें चैलेंज

- सबसे पहले जो भी आपकी आलोचना कर रहा है, उसे बोलने का पूरा अवसर दें और समझें कि वह आपके जीवन के किस पहलू में कमियां निकाल रहा है।

- अपनी हर आलोचना को कागज पर नोट करें और अगली बार उस व्यवहार या परिस्थिति में स्वयं इस बात का आंकलन करें कि यह आलोचना कितनी सही है।

- अपने हितैशियों से मिल रही अपनी आलोचनाओं को लेकर कल्पना करें कि अगर आप अपने कुछ तौर-तरीके नहीं बदलते हैं तो इससे क्या नुकसान हो सकता है।

- इन कल्पनाओं के आधार पर निर्णय लें कि आप अपने व्यवहार, कार्य, बातचीत, आर्थिक सौदे और पारिवारिक माहौल में आप किन परिवर्तनों के लिए तैयार हैं।

- इस एक्सरसाइज के आधार पर आप यह समझ पाएंगे कि अपनी गलतियों को सुधार कर आप खुद को कैसे बेहतर बना सकते हैं।

- कुछ दिनों बाद एक क्रॉस चेक प्रक्रिया भी करें, इसमें देखें कि अपनी आलोचनाओं के आधार पर खुद में जो परिवर्तन किए हैं उससे आपकी छवि में क्या बदलाव आया।

- अगर आप खुले मन से अपनी आलोचनाओं पर काम करना शुरू कर देंगे तो कबीर दास जी का दोहा आपके जीवन में चरितार्थ हो जाएगा और आप खुद को बेहतर व्यक्तित्व की ओर ले जाएंगे।

- महत्वपूर्ण: आलोचना मिलने पर हमेशा ध्यान रखे कि यह सिर्फ आपकी निंदा नहीं बल्कि एक विकल्प है जो आपको रचनात्मक परिवर्तन की ओर आगे ले जा रहा है। इसे खुले मन से स्वीकार करें।

- महत्वपूर्ण: आलोचना करते समय हमेशा ध्यान रखे कि आप किसी व्यक्ति में सुधार करना चाहते हैं कि उसकी प्रतिष्ठा धूमिल करना, इसलिए कभी भी आलोचना व्यक्तिगत करें, सार्वजनिक नहीं।

खुश रहिए, स्वस्थ रहिए, विचारों की इस कलात्मक दुनिया में मेरे साथ बने रहिए..........  

आपका  सुमित

टिप्पणियाँ

  1. क्या बात है सुमित जी नमस्कार प्रणाम आपको बहुत ही अच्छा ध्यान आकर्षित यह बात बिल्कुल सत्य है हर आदमी व्यक्ति विशेष जो भी होता है अपने जीवन में प्रशंसा ही सुनना चाहता है लेकिन नकारात्मक जो चीजें उनके द्वारा हो जाते हैं वह उससे किसी भी प्रकार से एक्सेप्ट नहीं कर पाते हैं आज जो आपने ध्यान आकर्षित किया है यकीनन जीवन में नई धारा एवं अपने प्रति गलती से जो चीजें हो जाती है उसे स्वीकार करने में आसानी होगी और मैं यकीनन यही मांगता हूं हर आदमी को अपनी नकारात्मक सोच को सकारात्मक सोच में बदलना चाहिए उससे जीवन में सुचारू रूप से चलने में फायदा होता है

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  2. jo apniकमीया। सुन पाएगावो आगे जरूर बढेगा,

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