सत्य को स्वीकार करने पर ही मिलती है असत्य से लड़ने की शक्ति


हम सभी ने गत दिनों दशहरा मनाया, रावण के पुतले का दहन किया और एक-दूसरे से मिलकर, मोबाइल पर और सोशल मीडिया के माध्‍यम से असत्य पर सत्य की जीत के संदेश को दोहरायाहम लगातार इस बात का प्रचार करते हैं कि असत्य पर सत्य की जीत होती है लेकिन इस बात को जीवन में उतारना भूल जाते हैं। कभी हम समाज में दिखावे के लिए असत्य बोलते हैं तो कभी खुद को धोखा देते हुए असत्य का चोला ढ़ लेते हैं। वास्‍तव में अगर आपको जीवन में कुछ हासिल करना है, आगे बढ़ना है या खुद को साबित करना है तो सबसे जरूरी है सत्‍य को स्‍वीकार करना। जब तक आप सत्‍य को स्‍वीकार नहीं कर लेते तब तक आपको असत्‍य से लड़ने की शक्ति नहीं मिलेगी। आज जब हम शक्ति की आराधना और सत्‍य की जीत के पर्वों को मना रहे हैं तो स्‍वयं भी संकल्‍प लें कि अपने जीवन के सत्‍यों को स्‍वीकार कर स्‍वयं में सुधार करेंगे।

हम सब कहीं न कहीं, कभी न कभी, किसी न किसी भय से सत्‍य को छुपाने का प्रयास करते हैं। हमें हमेशा डर लगा रहता है कि सत्‍य को उजागर करने से हमारी प्रतिष्‍ठा, संबंध या भविष्‍य खतरे में पड़ सकता है। लगातार असत्य के आवरण में रहने के कारण हम असत्‍य को ही सत्‍य साबित करने में लगे रहते हैं। धीरे-धीरे यही असत्‍य हमारी कमजोरी बनता चला जाता है और हम चाह कर भी इसका आवरण नहीं हटा पाते। ऐसे में सत्‍य परेशान हो सकता है पराजित नहीं, असत्‍य पर सत्‍य की जीत निश्चित है और सत्‍य के मार्ग पर चलने वाले को सफलता मिलती है जैसी बातें केवल किताबों तक सिमट कर रह जाती हैं, क्‍योंकि हम सत्‍य को स्‍वीकार करना ही नहीं चाहते।


देखिए मैं कुछ उदाहरणों से अपनी बात को स्‍पष्‍ट करता हूं। किसी छात्र के गणित में कम नंबर आते हैं तो घरवाले छात्र की ओर से ध्‍यान नहीं देने, विषय में अरूचि या समझाने-पढ़ाने के तरीकों में परिवर्तन जैसे सत्‍य को स्‍वीकार करने की जगह कभी शिक्षकों को दोष देने लगते हैं तो कभी छात्र के झूठे अंक प्रचारित करने लगते हैं। किसी नौकरीपेशा का वेतन कम होने की स्थिति में वह अपने परिचितों के सामने सत्‍य को छूपाकर वेतन को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्‍तुत करता है। इसी तरह सिगरेट-शराब पीने की आदत, अपनी किसी कमजोरी, समय पर नहीं पहुंचने, अपनी प्रिय वस्‍तु किसी के साथ शेयर नहीं करने और ना जाने कितने कारणों से हम सच को छूपा जाते हैं। कई पुराने संस्‍थान, राजनीतिक दल या विचाराधारा को लेकर कठोर लोग समाज में परिवर्तन के सच को स्‍वीकार करने की जगह स्‍वयं के कार्यों को ही बेहतर साबित करने में लगे रहते हैं। ऐसे में सबसे बड़ा नुकसान हमारा ही होता है क्‍योंकि सच जब तक स्‍वीकारा नहीं जाए वह सामने नहीं आता और वह सामने नहीं आता तो हमें असत्‍य से लड़ने की शक्ति नहीं मिलती। इसलिए अपने जीवन के सत्‍यों को स्‍वीकार करें इसके बाद ही आप लक्ष्‍य को हासिल करने की योजना बना पाएंगे और तभी आपको आगे बढ़ने का बेहतर मार्ग नजर आएगा।

ऐसे करें सत्‍य को स्‍वीकार

-    सबसे पहले यह सोचें कि आप अपनी आदतों की, कार्य की या काबिलियत की कौन सी सच्‍चाई को स्‍वीकार नहीं कर रहे। मतलब आपकी कौन सी कमजोरी हैं जो आप किसी से सामने प्रदर्शित नहीं होने देना चाहते।

-    अब एक कागज पर उन सभी सच को लिखें जो आप स्‍वयं से, परिवार से, रिश्‍तेदारों से या समाज से छूपा रहे हैं।

-    अब यह सोचें कि यह बातें छूपाने की जरूरत क्‍या है, कारण आपके सामने आ जाएगा, यानें या तो यह सच बुरी आदतों से संबंधित होंगे या फिर स्‍वयं की किसी कमजोरी से।

-    जैसे अगर बीमारी आपकी कमजोरी है तो स्‍वीकार करें कि आप बीमार हैं, अगर आपका वेतन कम है तो स्‍वीकार करें की हां है, अगर आप समय के पाबंद नहीं हैं तो स्‍वीकार करें कि नहीं हैं, अगर आप किसी गलत संगत में हैं तो उसे सही साबित करने की जगह स्‍वीकार करें कि हां मैं गलत हूं, अगर आपके नंबर अच्‍छे नहीं आते तो स्‍वीकार करें हां नहीं आते।

-    अब आपको पता चल गया है कि आपको करना क्‍या है, अपनी बीमारी का उपचार करना है, बेहतर वेतन के लिए कंपनी स्‍वीच करना है या अपनी काबिलियत साबित कर प्रमोशन लेना है, कहीं भी समय पर पहुंचने का प्रयास करना है, गलत संगत को छोड़ना है, अच्‍छे नंबर हासिल करने के लिए पूरी मेहनत से प्रयास करना है।

-    जैसे ही आप इन सत्‍य को स्‍वीकार करेंगे तो वैसे ही आपको वो शक्ति मिल जाएगी जो इनसे मुकाबला करने का साहस आपको देगी और अगर आपने इनसे मुकाबला कर जीत पा ली तो आपको असत्‍य बोलना ही नहीं पड़ेगा।

-    बस 21 दिनों के लिए आपको अपनी असत्‍य बातों को छोड़ना है, कमजोरी को दूर करने के प्रयास करना है, स्‍वयं की काबिलियत बढ़ाने पर फोकस करना है, बस फिर आपके जीवन में असत्‍य की जगह ही नहीं रहेगी।

-    याद रखें कि आप जब तक सत्‍य को स्‍वीकार करने से डरते रहेंगे, तब तक असत्‍य आप पर हावी रहेगा लेकिन जैसे ही आप सत्‍य को स्‍वीकार कर लेंगे, वैसे ही आप असत्‍य को हरा देंगे। और असल में यही होगी असत्‍य पर सत्‍य की विजय……………..

आपका सुमित

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