चलना तो शुरू कीजिए… लोग भी मिलेंगे और कारवां भी बनेगा

 

मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंजिल मगर, लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया… मजरूह सुल्‍तानपुरी का यह मशहूर शेर आप सभी ने सुना होगा और राजनीतिक आंदोलनों, समाज सुधार व नवाचारों में इसकी बानगी को भी महसूस किया होगा लेकिन अगर हम इसकी गहराई में जाएं तो हमारे जीवन में बदलाव, नवाचार और प्रयासों को भी यह शेर काफी प्रभावित करता है अगर आप भी अपने जीवन के आयामों को परिवर्तित करना चाहते हैं, कुछ नया करना चाहते हैं या किसी की मदद करना चाहते हैं लेकिन समय व संसाधनों की कमी के कारण खुद को अकेला महसूस कर रहे हैं तो रूकिये मत, बस ठान लीजिए और चलना शुरू कीजिए… लोग भी मिलेंगे और कारवां भी बनेगा

एक बात में स्‍पष्‍ट कर दूं कि जब तक आपको जीवन में सफलता मिल रही है या आप खुश हैं तो परिवर्तन की ओर आपका ध्‍यान नहीं जाएगा लेकिन अगर जीवन में कभी जज्‍बात गमगीन हों, कभी रिश्‍ते उधड़ रहे हों, कभी आसपास सिर्फ अंधेरा हो, कभी साथ में कोई नजर नहीं आ रहा हो, कभी रंगीन चश्‍में के पीछे आंखों के आंसू छीपे हों, कभी किसी को कुछ समझाना मुश्किल हो जाए, कभी जब जीवन में कोई रंग नजर न आए, जब खुद को हारा हुआ महसूस कर रहे हों या जब हंसी महफिल भी विरान लगने लगे तो समझ जाईये कि आपको किसी बदलाव की जरूरत है। अब खुद से वादा कर नई दिशा में कदम बढ़ा दीजिए और आप एक नई दास्‍तां लिख देंगे।


अब यह बात कि जब आप कुछ करने की ठानेंगे तो आप अकेले क्‍यों होंगे, ऐसा इ‍सलिए होगा क्‍योंकि हमारा समाज कभी किसी नवाचार के लिए तैयार नहीं रहता और सबसे पहले विरोध हमारे आसपास के लोग ही करते हैं। ऐसे में लोगों की बातें आपको तोड़ सकती हैं, आपको भटका सकती हैं और आपको पांव पीछे खींचने पर मजबूर कर सकती हैं लेकिन आपको खुद के साथ खड़े रहना हैयाद रखिए कि अगर ऐसी ही बातों से महात्‍मा गांधी, राजा राममोहन राय, दयानंद सरस्‍वती, स्‍वामी विवेकानंद और नेलसन मंडेला जैसे लोग भटक गए होते तो आज हमारा देश व समाज जहां है, वहां नहीं होता लगातार प्रयास और स्‍वयं पर विश्‍वास से जब आपके पास दृढ़ता का पारस आ जाएगा तो यकीन मानिए कि आप के साथ जो जुड़ता जाएगा वो भी स्‍वर्ण होता जाएगा।

ऐसे करें खुद को तैयार

-    जीवन में किसी भी समस्‍या से भागें नहीं, जब तक आप दुनिया में हैं तब तक समस्‍या हैं, आप जहां-जहां जाएंगे समस्‍याएं भी वहां आएंगी, इसलिए भागें नहीं, बल्कि उसका हल खोजें

-    सबसे पहले परिस्थिति को समझें कि आप जीवन में, प्रोफेशन में या समाज में क्‍या बदलना चाह रहे हैं

-    इसका आपके जीवन, परिवार, समाज और आपकी मानसिक संतुष्‍टी पर क्‍या प्रभाव पड़ेगा

-    क्‍या करना है के साथ यह भी तय करें कि क्‍या नहीं करना है और जो कर रहे हैं उसमें क्‍या परिवर्तन करना है।

-    आपको किन संसाधनों की जरूरत होगी और इसकी व्‍यवस्‍था आप कहां से करेंगे और कब तक कर पाएंगे।

-    छोटे-छोटे लक्ष्‍य बनाएं और हर लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने के लिए एक निर्धारित समय तय करें।

-    याद रखें कि आप शून्‍य से शुरू हुए हैं, अर्थात आपको जो भी मिलेगा वह आप हासिल करेंगे, इसलिए हर प्राप्‍ति पर सुकून का अनुभव करें

-    किसी से मदद मांगने में संकोच न करें, अगर कोई मदद करने में असमर्थता भी जताए तो यह सोचें कि शायद इससे बेहतर विकल्‍प आपको मिलने वाला है

-    जो आपकी मदद करें, उनके प्रति आभार व्‍यक्‍त करें, हर छोटा सा सहयोग भी आपकी सफलता की इमारत में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाएगा

-    अपने प्रयास की कोशिश आखिरी सांस तक कीजिए या तो आपको सफलता मिलेगी या अनुभव और यह दोनों ही चीजें बहुत महत्‍वपूर्ण हैं।


टिप्पणियाँ

  1. Bhot he sahe baat likha he bhaiya ☀️mene bhi ek jagh yeah padha tha ki "what we gain is also what we loose" iska mtlb me apne jeevan me ese leti hu ki me prayas karti jaati hu or karti rahugi🌼

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  2. सुमित जी नमस्कार बहुत ही शानदार ब्लॉक आज का जैसा कि आपने ध्यान आकर्षित किया मैं तो अकेला ही चला था जानिबे मंजिल की ओर लोग मिलते गए कारवां बनता गया छोटा सा शब्द कहूंगा यहां मंजिलें मिले ना मिले यह मुकद्दर की बात है हम कोई कोशिश ही ना करें यह गलत बात है जीवन में किसी ना किसी क्षण किसी समय यह मनुष्य को जरूर करना चाहिए एक सफलता की ओर अग्रसर एक प्रयास रास्ते में अड़चनें समस्या तो सही बात है हर जगह रहेगी उनका हल निकालते हुए आगे बढ़ना ही जीवन है बहुत-बहुत बधाई

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  3. "मंजिल उन्हीं लोगों को हीं मिली जिन्होंने चलने की ठानी"
    चलना प्रारम्भ तो किजिए, आपका यह लेख विचारोत्तेजक एवं प्रोत्साहित करने वाला है।

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