दिमाग का सॉफ्टवेयर बदलने से मिलेगी 'सच्ची खुशी'
हम सभी अपने जीवन में सुख पाना चाहते हैं, जीवन की भागदौड़ के बीच अपने सपनों की चाहत को सुख मानकर उनके पीछे भागते हैं। लोगों को लगता है कि उनके सपने पूरे होने की अनुभूति ही सच्चा सुख है लेकिन यह गलत है, बल्कि यह उस प्रकार है जैसे मृग कस्तूरी की खूशबू के पीछे सारी जिंदगी भागता है लेकिन वह कस्तूरी उसी के अंदर होती है। इसी तरह खुशियां हमारे अंदर हैं लेकिन हमारे दिमाग में जो सॉफ्टवेयर है वह हमें हमारी उपलब्धियों, सकारात्मकताओं और हासिल चीजों की जगह वह दृश्य दिखाता है जो हम हासिल नहीं कर पाए, फिर हम दुखी होते हैं और सुख की तलाश में भागने लगते हैं। ऐसे में हम दिमाग का सॉफ्टवेयर बदलकर सच्ची खुशी हासिल कर सकते हैं।
हम कई बार सोचते हैं कि हमें अपनी ड्रीम वाइफ – ड्रीम हस्बेंड, ड्रीम जॉब, ड्रीम डिग्री, ड्रीम कार, ड्रीम मोबाइल या अन्य संसाधन चाहिए तब हम सच्ची खुशी हासिल करेंगे लेकिन अपनी लाइफ को फ्लैशबैक करके देखेंगे तो पता चलेगा कि इनमें से कई चीजें हासिल करने के बाद क्या हमें सच्ची खुशी मिल गई, अधिकांश का जबाव होगा नहीं, क्योंकि जब तक हम किसी चीज को पाना चाहते हैं तब तक वह हमारे लिए खुशी की अनूभूति होती है लेकिन जैसे ही हम उसे पा लेते हैं तो कुछ पलों या दिनों में वह खुशी खत्म हो जाती है और हम नए ड्रीम को अपनी खुशी मान लेते हैं, ऐसे में हम कभी सच्ची खुशी हासिल ही नहीं कर पाते। सच्चे सुख की अनुभूति को हमेशा अपने साथ बनाए रखने के लिए जरूरी है संतोष। हमें जो प्राप्त है उसके लिए ईश्वर का धन्यवाद करें, जिन संसाधनों के बीच हम रहते हैं दुनिया में लाखों लोगों के लिए वह सपना हैं। हमें जो प्राप्त है उसकी ओर देखने की जगह हम हर बार उसी चीज के बारे में सोचते हैं जो हमें नहीं मिल सकी है, ऐसे में हम फस्ट्रेट होते हैं। सुखी रहने के लिए अपने हासिल संसाधनों और संबंधों पर संतोष जाहीर करना जरूरी है। संतोष का अर्थ यह नहीं है कि हम ग्रोथ न करें बल्कि संतोष से उत्पन्न खुशियां तो हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं। प्रसन्न मन से हम बेहतर लक्ष्य निर्धारित कर पाते हैं और उन पर योजना बनाकर बेहतर तरीके से आगे बढ़ पाते हैं।
कई लोग सोचते हैं कि उन्हें जीवन में अपेक्षित सुख-सुविधाएं नहीं मिल
सकीं, इसके लिए कभी वे भाग्य तो कभी परिस्थिति को दोष देते हैं
लेकिन सुख के लेकिन भाग्य से अधिक जरूरी हैं सोच, प्रयास और
चयन। सोच अर्थात परिस्थति कैसी भी आ जाए मन को शांत और स्थिर रखना। प्रयास यानी अपने
कार्य में पूरी शिद्दत से जुट जाना, भले कितनी भी बाधाएं आएं।
चयन यानी सही समय पर हां और न कहना। कई बार हर बात में हां कहने या सही समय पर न नहीं
कहना ही हमारे सुख के लिए बाधा बन जाता है। ऐसे में जब भी किसी कार्य के लिए हां कहें
तो सोच-समझकर कहें और जब भी न कहें तो पूरी दृढ़ता के साथ कहें। सोच, प्रयास और चयन के साथ जब आप जीवन में आगे बढ़ेंगे तो असफलता में भी आपका मन
प्रसन्न होगा और अगले प्रयास की तैयारी में जुट जाएगा।
अपने दिमाग के सॉफ्टवेयर को ऐसे बदलें
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एक पेपर या डायरी लें और लिखना शुरू करें
- सबसे पहले लिखें कि पांच साल पहले मैंने करियर, जॉब, शादी, फैमली के लिए क्या सोचा था, इनमें से क्या-क्या करने में सफलता मिली, इस सफलता और हासिल चीजों की खुशी मनाईये, जो चीजें हासिल नहीं कर सके उन्हें अलग से नोट कर लीजिए
- अब यह देखिए कि खुशियों के पिरामिड के हिसाब से आप किस लेवल पर हैं। कागज पर एक पिरामिड बनाईये इसमें पांच हिस्से कीजिए सबसे नीचे रोटी, कपड़ा और मकान लिखिए, उससे ऊपर सुरक्षा और जीवन बीमा, तीसरे पर रोजगार, व्यापार, प्यार, दोस्ती और पारिवारिक सामंजस्य, दूसरे स्थान पर बच्चों की शिक्षा-करियर, सामाजिक प्रतिष्ठा, जीवन का मौजूदा लक्ष्य और सबसे ऊपर लिखिए जीवन में स्वंय से मुलाकात या आत्म साक्षात्कार।
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गौर से देखिए कि जीवन में आप खुशियों के पिरामिड के किस स्तर पर हैं, जिस स्तर पर आप हैं
उसे हासिल करने का प्रयास कीजिए। इसमें उन बिंदुओं को भी शामिल कर लिजिए जो आपने पांच
सालों में प्राप्त नहीं होने वाले पॉइंट में लिखे थे, अब सोचित
कि मौजूदा समय में क्या सबसे अधिक जरूरी है और प्रसन्नचित मन के साथ उनको पाने में
जुट जाईये।
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इस पूरी एक्सरसाइज में आपको जो पॉइंट ऐसे मिलें जिस पर खुश होना चाहिए
तो खुलकर खुश होईये और अपने परिवार के साथ इसे साझा कीजिए कि मैंने पांच साल पहले यह
सोचा था और यह मेरे पास है, इसके बाद मौजूदा संसाधनों पर संतोष जताईये।
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जो लक्ष्य अप्राप्त हैं या जिन लक्ष्यों को अब आपने अलगे एक-दो साल
में हासिल करने पर फोकस किया है उन्हें लिखिए। इन लक्ष्यों को हासिल करने में लगने
वाले समय और संसाधन की सूची बनाईये।
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सप्ताह में एक दिन तय कीजिए जिसमें आप इस पूरे पेपर या डायरी को पढ़ें
और इसमें अपडेट्स कर सकें। इससे आपको अपने लक्ष्य हासिल करने में सुविधा होगी। अगर
इस एक्सरसाइज को करने के बाद आप मुस्कुरा रहे हैं, संतुष्ट हैं और खुशियों के साथ नए लक्ष्य
की ओर आगे बढ़ रहे हैं तो समझ जाईये कि आपके दिमाग का सॉफ्टवेयर बदल चुका है।
बिल्कुल सही ब्लॉक पर आज आपकी जो लेक आया है उससे सहमत हूं एक छोटा सा निवेदन करना चाहूंगा सुमित अवस्थी जी को एक तो आजकल आपका ब्लॉक समय से थोड़ा सा विलंब हो रहा है कहीं ना कहीं उसका भी ध्यान आपको रखना पड़ेगा क्योंकि मुझ जैसा आदमी आपके ब्लॉक की प्रतीक्षा करते हैं हर संडे को सुबह मॉर्निंग में मिले जो कि आजकल पिछले दो-तीन संडे से दिन में मिल रहा है और आज आपने जो जीवन पर जो प्रतीक रास्ता ध्यान आकर्षित किया है वह यकीनन परिवारिक रुप में है परिवार बचपन से निकलकर जवानी में आता है जवानी में सपने होते हैं शादी हो घर हो सुंदर सी बीवी हो बच्चे हो माता-पिता का साथ हो पर कहीं ना कहीं आदमी प्रकृति से भटक जाता है उस विषय से भटक जाता है कि जो उसने पाया है आज आपका यह जो ध्यानाकर्षण है वह कहीं ना कहीं जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है इसके लिए आपको साधुवाद देता हूं आगे भी आप इसी प्रकार प्रेरणा देते रहें आदमी मनुष्य जीवन में आने के बाद भौतिक सुख-सुविधाओं को पाने के लिए आगे बढ़ने के लिए कहीं ना कहीं कुछ ऐसे रास्ते अपना लेता है कि परिवार से दूर हो जाता है इनमें कई कारण है लोगों की समय की बादह अपने जिले से बाहर रहकर काम करना परिवार से दूर रहना बहुत से कारण है जिन किन्हीं कारणों से आदमी परिवार से दूर हो जाता है लेकिन उन्हें अपना अंतिम दायित्व पहला और अंतिम एक ही शब्द है जहां से उत्पन्न हुए थे वहीं समाप्ति होती है तो उनका विशेष ध्यान रखना होता है आपकी आज इस ब्लॉक से बहुत सी चीजें समझने को मिली है और मैं समझता हूं कि आगे भी आप मार्गदर्शन करते रहेंगे
जवाब देंहटाएंNice thought..👌👍
जवाब देंहटाएंयदि आप अपने जीवन में निःस्वार्थ परमार्थ कर सके हैं तो आपका जीवन धन्य है । जीवन के मध्याह्न में अर्थोपार्जन आवश्यक है किन्तु श्रेष्ठ मनुष्य वही है जो भौतिकवादी प्रवृत्ति के सम्मोहन से समय पर मुक्ति पाने का आत्मबल रखता है । इसीलिए शास्त्रकारों ने हमारा सम्पूर्ण जीवन चार आश्रमों में विभक्त किया था ।
जवाब देंहटाएंउत्तम लेखन, साधुवाद ।