अपने मन के बगीचे में बोईये आशाओं के बीज



आपने अक्‍सर महसूस किया होगा कि आपके मन में बुरे विचार आ रहे हैं, बार-बार मन किसी अनचाहे दृश्‍यों को हमारी आंखों के सामने ला रहा है। कभी मन स्‍वयं से ग्‍लानि‍ करा रहा है तो कभी हमारे अपनों से संघर्ष के लिए हमें प्रेरित कर रहा है… जानते हैं ऐसा क्‍यों होता है क्‍योंकि किसी दुखद घटना, अधूरी इच्‍छा या अपेक्षा पूरी नहीं होने के कारण हम अनजाने में अपने मन में नकारात्‍मकता के बीज डाल देते हैं। अगर समय पर इन बीजों से उत्‍पन्‍न खरपतवार को नहीं हटाया जाए तो हमारे जीवन में खुशियों के फूल नहीं खिल पाते। सब कुछ होने के बाद भी हमारा मन विचारों से जूझता रहता है। इससे बाहर निकलने के लिए अपने मन के बगीचे में आशाओं के बीच बोईये, आशाओं की फूलवारी से आपके विचार सकारात्‍मक होंगे और आपका मन आपको सही दिशा में आगे बढ़ाने लगेगा।

हमारा मन किसी खाली जमीन की तरह होता है, इसमें हम जिस तरह के बीज लगाएंगे हमें उसकी तरह का पेड़ मिलेगा। हमारी अपेक्षा पर खरे नहीं उतरे किसी व्‍यक्ति, अपने ही परिवार या किसी दोस्‍तों से नाराजगी को जब हम बार-बार सोचने लगते हैं तो मन में नकारात्‍मकता के बीच पड़ जाते हैं और मन की जमीन इतनी उपजाऊ है कि बीच पड़ते ही वह इसका पौधा और पौधे से पेड़ बनाने में देरी नहीं करती। एक भी गलत बीच हमारे रिश्‍तों में कड़वाहट ला सकता है और हमारे मन को अस्थिर कर सकता है। अब हम इस पेड़ की शाखाओं को कितना ही काटें हमें संतोष नहीं मिल पाता तो चलिए हम समझते हैं कि नकारात्‍मकता को उखाड़कर आशाओं फूलवारी कैसे लाएं।



   -    सबसे पहले आप मन से उत्‍पन्‍न जिस भावना से दुखी हैं उसको पहचानें

-    आप समझने की कोशिश करें कि आपका मन किस चीज से आपको डरा रहा है

-    अब देखें कि क्‍या यह डर वास्‍तविक है या क्‍या यह भावनाएं सही हैं

-    शांत मन से समझने पर आप पाएंगे कि मन में उत्‍पन्‍न अधिकांश नकारात्‍मक भावनाएं आधारहीन हैं

-    अब इन भावनाओं का सामना करें और अपने मन से संवाद शुरू करें

-    मन जिन नकारात्‍मक भावनाओं से आपको डराए आप उसके विपरित सकारात्‍मका से उनका उत्‍तर दें

-    यह बिलकुल उस तरह है कि किसी खाली कमरे में अंधेरे के कारण डर है कि वहा कोई है लेकिन लाइट जलाते ही डर गायब हो जाता है

-    वैसे ही मन से संवाद की रोशनी होते ही हमारे नकारात्‍मकता का अंधकार खत्‍म हो जाता है

-    प्रयास करें कि खुद ही मन में झांककर इन भावनाओं से परिचित हों और उनके साथ संवाद करें

-    जब आप अपने मन में उत्तपन्‍न प्रश्‍नों के उत्‍तर देने लगेंगे तो धीरे-धीरे वह आपको डराना बंद करने लगेगा

-    बस यही सही समय है आशाओं के बीज बोने का, अपने जीवन की सभी खुशियों भी यादों को सामने ले आईए

-    अगर किसी ने गलती की है तो उसे माफ कर दीजिए और जिस हालातों पर आपका बस नहीं है उन्‍हें सोचना छोड़ दीजिए

-    आप अपने मन में जिस तरह के बीज बोएंगे, आपकी भावनाएं वैसी ही हो जाएंगी, आपके विचार उसी पर काम करने लगेंगे



हमारी सबसे बड़ी ताकत अगर कुछ है तो वह है इच्‍छा शक्ति लेकिन हम इसे पहचानने में गलती कर देते हैं। इच्‍छा शक्ति उन्‍हीं भावनाओं पर काम करती है जो बार-बार हमारे मन में घूमती हैं। हम चाहते हैं सफलता हासिल करना, संबंधों में खुशियां पाना, अपने आप को लोकप्रिय करना और बेहतर जिंदगी जीना लेकिन अपने मन में हमेशा सोचते हैं कि उस व्‍यक्ति ने मेरे साथ गलत किया, मेरे जीवन में यह बुरा हुआ, मुझे कोई समझता ही नहीं। बार-बार मन में ऐसे संवाद के कारण मन अपने अंदर इन्‍हीं भावनाओं को जागृत कर लेता है। फिर हमें लगता है कि हमारे जीवन में सबकुछ गलत हो रहा है, जबकि वास्‍तविकता में इसका सृजन हमने ही किया है।

 ऐसे में सबसे जरूरी है मन से संवाद, अपने मन को कह‍िए कि जीवन में सबकुछ ठीक है, जीवन चलते का नाम है और में चलने के लिए तैयार हूं। अपने लक्ष्‍यों, इच्‍छाओं और आशाओं को बार-बार मन में दोहराईये। मन खुद इनका माइंड मैप बनाकर आपके सामने रख देगा। अपनी हर इच्‍छा पूरी होने पर इसकी खुशी मनाएं और अपनी अगली सकारात्‍मक इच्‍छा की ओर कदम बढ़ाएं। याद रखिए एक रचनात्‍मक व्‍यक्ति प्राप्‍त करने की इच्‍छा से प्रेरित होता है, दूसरों को हराने की इच्‍छा से नहीं।

टिप्पणियाँ

  1. वर्तमान समय में इसकी बहुत आवश्यकता है। यदि आशा ही नहीं रही तो पूरा जीवन निरर्थक हो जाता है । इसलिए आशाओं का बीजारोपण बहुत ही आवश्यक है। एक सकारात्मक लेख के लिए बहुत शुभकामनाएं 🙏🙏🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  2. सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता प्रेरणादायी लेखन हेतु साधुवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  3. 👍👍
    नर हो न निराश करो मन को .........

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

जीवन में ऐसे काम करो कि ''खुद से नजर मिला सको''

अगर स्‍मार्ट वर्क करना है तो ऐसे करें अपने टाइम को मैनेज

तुझसे नाराज नहीं जिंदगी हैरान हूं मैं