मन में कुछ भरकर जियोगे तो मनभर कर नहीं जी पाओगे

 


मन... छोटा सा शब्द है लेकिन हमारी पूरी दुनिया इसी में समाती है। जब मन कुछ चाह ले तो पूरा शरीर उसकी इच्छा पूरी करने में जुट जाता है। अगर मन कह दे कि भूख लगी है तो हम खाना खाने लगते हैं। अगर यह किसी को शत्रु मान ले तो हम उसके खिलाफ हो जाते हैं और अगर किसी को मित्र मान ले अपना पूरा स्नेह उस पर लुटा देते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि जीवन में सुखी रहने के लिए मन का खाली होना जरूरी है। इसे भावनाओं, चिंताओं और पूर्वाग्रह से मुक्त रखना जरूरी है। यह इसलिए जरूरी है क्योंकि अगर मन में कुछ भरकर जियोगे तो मन भर कर कभी नहीं जी पाओगे।

आपने लोगों को अक्सर बोलते हुए सुना होगा या खुद भी कहा होगा कि... मैंने उसके लिए कितना कुछ किया लेकिन उस दिन उसने मेरे साथ बुरा व्यवहार किया। उसने कितने दिनों तक मेरी गाड़ी चलाई और उस दिन मुझे जरूरत पड़ी तो उसने मना कर दिया। मेहमान हमारे घर आए तो हमने कितने अच्छे से रखा और हम उनके घर गए तो कोई व्यवस्था ही नहीं मिली। उन्होंने बताया था कि वह व्यक्ति धोखेबाज है उससे मिलने के दौरान अब मैं उससे कोई आर्थिक व्यवहार नहीं करूंगा। आप अपने मन में ऐसी बातें बोल-बोल कर इसे चिंता, शंका, भय, अहंकार, स्वार्थ और पूर्वाग्रह जैसी भावनाओं से भर लेते हैं।



इन सब से जब आप तंग आ जाते होंगे तो आपने अपने आप से या लोगों से कहा होगा कि मेरा तो सर फट जाता है यह सोच सोच कर लेकिन मेरे मन से यह विचार हट ही नहीं रहे। क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है। कोई विचार आपके मन में बार-बार क्यों आ जाता है, क्यों आपको डराता है, क्यों आप उस विचार से मुक्त नहीं हो पाते। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आप स्वयं उस विचार का सृजन करते हैं। उस विचार का आह्वान करते हैं और उसे अपने मन में लेकर आते हैं। जी हां यह बिल्कुल सही है। हम स्वयं अपने मन में जो बात करते हैं, वही विचार हैं। मन से किए गए हमारे गैरजरूरी संवाद में हम मन में 90% से अधिक गलत और अव्यवहारिक भावनाएं भर लेते हैं।

अगर आप वास्तव में मन को खाली रखना चाहते हैं और खुलकर जिंदगी जीना चाहते हैं तो चलिए मेरे साथ एक एक्सरसाइज करते हैं।

- गहरी सांस लीजिए और अपने मन से कुछ भी बोलना बंद कर दीजिए।

- अब आंखें बंद कर अपने मन के अंदर झांक कर देखिए। 

- आपको यहां कोई भी विचार नजर नहीं आएगा। 

- अब लगातार अपने मन से कुछ भी कहना बंद रखिए।

- अब आंखें खोलिए और चिंतन कीजिए कि मन के विचार क्या हैं।

- वास्तव में हमारे विचार वही बात हैं जो हम स्वयं अपने मन से कहते हैं।



आप यकीन मानिए जिस समय आप अपने मन से कुछ भी कहना बंद कर देंगे आपके विचार खत्म हो जाएंगे और आपका मन खाली हो जाएगा। यह एकदम से नहीं होगा। लगातार धीरे-धीरे इसकी प्रैक्टिस करना होगी। शुरू में मन को खाली करने के लिए आप संगीत या आपकी किसी हॉबी का भी सहारा ले सकते हैं। इसके साथ यह प्रेक्टिस करते रहें। जब ज्यादा विचार आने लगे तब इस एक्सरसाइज को दोहराएं। इससे हमारा मन एकदम शांत और स्थिर हो जाएगा। अब सोचिए इसका क्या फायदा होगा। शांत, स्थिर और गैर जरूरी विचारों से खाली मन को हम जब भी कोई काम देंगे तो वह बहुत अच्छा होगा। मैंने जो एक्सरसाइज बताई है उसे रोजाना दोहराने के बाद अपने मन से पूछें भारत की राजधानी क्या है, सेब कहां अधिक होते हैं, यह गणित कैसे हल होगा। आपको प्रश्नों के उत्तर के साथ उसकी इमेज भी नजर आने लगेगी और यह प्रक्रिया बहुत तेज और आसान हो जाएगी। आप पाएंगे आपका मन हर चीज के  सटिक जवाब देने लगेगा। इससे आपकी रोजमर्रा की जिंदगी बहुत आसान हो जाएगी और प्रोफेशनल लाइफ पर भी आप पूरा फोकस कर पाएंगे। विद्यार्थी अपनी पढ़ाई पर पूरा फोकस कर पाएंगे और आप मन में कोई भावना भरकर नहीं मन भर का जिंदगी का मजा ले पाएंगे।

टिप्पणियाँ

  1. मन को जिसने जीता वह सुख को आसानी से प्राप्त कर सकता हैं।

    जवाब देंहटाएं
  2. क्या बात है सुमित जी बहुत ही शानदार आपके ब्लॉक हमेशा प्रेरणादाई होते हैं बस उस पर अमल करना आवश्यक है और आज जो मन की बात आपने कही है वाकई में अपने मन को जिसने स्थिर कर लिया हो वह अपने संपूर्ण जीवन को बहुत ही सहज सरल तरीके से जी सकता है क्योंकि मन अगर स्थिर नहीं है तो वह किसी भी कार्य को पूर्ण करने की स्थिति में नहीं रहता बहुत अच्छा सुझाव अच्छा कार्य समाज को प्रेरणा देता है आप के माध्यम से।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर विचार है सुमित जी,,,

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

जीवन में ऐसे काम करो कि ''खुद से नजर मिला सको''

अगर स्‍मार्ट वर्क करना है तो ऐसे करें अपने टाइम को मैनेज

तुझसे नाराज नहीं जिंदगी हैरान हूं मैं