आपकी लाइफ को कोई बदल सकता है तो ''वह सिर्फ आप हैं''

 



अक्‍सर आपकी लाइफ का रिमोट दूसरों के हाथ में रहता है। कभी पिता, कभी पति तो कभी बच्‍चे। आप इनकी जिंदगी को संवारते हुए अपनी जिंदगी को देख ही नहीं पातीं। कभी संस्‍कार, कभी एमोशन तो कभी प्‍यार की दुहाई देकर आपके पैरों में बेडि़यां बांध दी जाती हैं और आप इन्‍हें अपनी जिंदगी का हिस्‍सा मान लेती हैं, जी हां मैं बात कर रहा हूं आपकी, यानी एक महिला की। अक्‍सर आप जीवन की ऐसी गाड़ी में सवार रहती हैं, जिसके ड्रायवर को यह नहीं पता कि आपकी मंजिल क्‍या है, आपके सपनें क्‍या हैं और आपको जाना कहां हैं आपके यह हालात तब तक ऐसे ही रहने वाले हैं जब तक आप अपनी लाइफ का स्‍टेरिंग खुद नहीं थामेंगीं। क्‍योंकि अगर आपकी लाइफ को कोई बदल सकता है तो वह सिर्फ आप हैं।

महिलाएं अपने जीवन में अलग-अलग किरदार निभातीं हैं इन किरदारों में अलग-अलग जिंदगी जीती हैं लेकिन इन किरदारों को निभाने में अपना असली किरदार भूल जाती हैं उन्‍हें हमेशा लगता है कि वह किसी न किसी पर निर्भर हैं महिलाओं के जीवन में समस्‍या है कि वह खुद को मझधार की नैया समझती हैं, जबकि वह मझधार की नैया को पार लगाने वाली पतवार हैं उनकी इस पतवार से ही परिवार, समाज और देश की नैया पार हो रही है



आज भले ही नारी सशक्तिकरण की कई पहल हो रही हैं, महिलाएं चार दीवार से बाहर निकलकर अपनी पहचान बना रही हैं और हर क्षेत्र में अपनी सफलता के परचम लहरा रही हैं लेकिन कहीं न कहीं आज भी महिलाओं की सोच पर एक पहरा है यह पहरा आंगन से बाहर जाती बेटी पर ही शुरू हो जाता है बेटी की चोटी में हम बचपन से ही संस्‍कारों की गांठ ऐसे बांध देते हैं, जैसे समाज में संस्‍कार का ठेका सिर्फ उन्‍हीं के नाम है अगर इन संस्‍कारों का बंटवारा लड़कों के साथ भी कर लिया जाए और संस्‍कार निभाने की जिम्‍मेदारी दोनों को बराबर दी जाए तो शायद महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों का ग्राफ कुछ नीचे आ सके



हमें भी यह तय करना होगा कि अपने घौंसले कि चिड़िया के परों को बांधेंगे नहीं, क्‍योंकि यह चिड़िया उड़ना चाहती हैं यह पढ़ेगी भी और उड़ेगी भी बस हमें इसकी उड़ान को अपने हौंसले की हवा देना होगी उनकी उड़ान एक दिन समाज की सोच और उन्‍हें नीचा दिखाने वाले स्रोत दोनों को बदलकर रख देगी अपनी उड़ान में बेड़ी बनने वाली जंजीरों को वह अपना शस्‍त्र बना लेंगी और करेंगी हर मैदान फतह

टिप्पणियाँ

  1. भोपाल की आवाज7 मार्च 2021 को 9:35 am बजे

    सुमित जी क्‍या बात कही है… वाकई में महिला मझधार की नैया नहीं बल्कि पतवार है जो परिवार, समाज और देश की नैया को पार लगाती हैा आपके लेख हम सभी को प्रेरणा देते हैं

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत अच्छा लिखा है सुमित ,👍👍👍🌹🌹🌹🌹🌹

    जवाब देंहटाएं
  3. Women's day par, atyant sundar lekh, Mahilayen devi tulya mani jati, unka har kadam par samman kiya jana chahiye.

    जवाब देंहटाएं
  4. Bahut badiya Sumit ji, Ab to aapka sumit hamari life ka hissa ban gaya hai. ESE hi likhate rahiye hamesha.

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

जीवन में ऐसे काम करो कि ''खुद से नजर मिला सको''

अगर स्‍मार्ट वर्क करना है तो ऐसे करें अपने टाइम को मैनेज

तुझसे नाराज नहीं जिंदगी हैरान हूं मैं