सबको संभालने वालों को संभालने वाले नहीं मिलते

सुमित अवस्थी

बचपन से ही हमें सिखाया जाता है कि एक अच्छा इंसान बनें। हम में से कई इस सीख को जीवन का ध्येय बना लेते हैं। हम कोशिश करते हैं कि इंसानियत की हर खूबी अपने भीतर समेट लें, दूसरों के काम आएं, ज़रूरतमंदों की मदद करें और हर किसी की मदद के लिये उपलब्ध रहें। हम दूसरों को संभालते हैं, सहारा देते हैं, और सोचते हैं कि जीवन ऐसे ही चलता रहेगा। लेकिन, कभी-कभी ज़िंदगी ऐसे मोड़ पर ला खड़ा करती है, जहाँ हम खुद को अकेला पाते हैं। तब मन में कई सवाल उठते हैं: जो सबको संभालते हैं, उन्हें संभालने वाला कोई क्यों नहीं मिलते? जो हर किसी के सपनों को संवारते हैं, वे खुद तन्हा क्यों रह जाते हैं? और जो सबके आंसू पोंछने चलते हैं, उन्हें कभी अपने लिए सहारा क्यों नहीं मिलता? ऐसे में कई बार टूटने के बाद वह अपना बैग उठाकर किसी अनजान राह की तरफ आगे बढ़ जाते हैं।

आपने शायद यह अनुभव किया होगा कि जिन्हें प्यार नहीं मिलता, वे अक्सर दूसरों को प्यार देने की कोशिश करते हैं। उनके मन में एक उम्मीद होती है कि उन्हें भी वही मदद और सहयोग वापस मिलेगा। लेकिन जब ऐसा नहीं होता, तो वे बस यही सोचते रह जाते हैं कि ऐसा क्यों हुआ। धीरे-धीरे वे इन भावनाओं से दूर चले जाते हैं, क्योंकि वे किसी पर बोझ नहीं बनना चाहते। यह एक ऐसी पीड़ा है जो अक्सर अनकही रह जाती है, एक ऐसा दर्द जो भीतर ही भीतर रिसता रहता है। उम्मीद है कि कभी तो लोग समझेंगे कि दूसरों का सहारा बनने वालों को भी कभी सहारे की ज़रूरत होती है।

दिल की बात किसी से नहीं कह पाते

जो लोग दूसरों के दुखों को अपना समझकर उनकी मदद के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं, दूसरों के बोझ को हल्का करने में अपनी पूरी ताकत लगा देते हैं, वे अक्सर अपने दिल की बात किसी से कह नहीं पाते। वे किस तरह की मानसिक उथल-पुथल से गुज़र रहे हैं, उनकी हंसी के पीछे कितने गहरे घाव छिपे हैं, यह कोई जान नहीं पाता। जो हर किसी का साथ निभाता है, अक्सर वह अकेला ही रह जाता है।

न जाने कौन सी शिकायतों के हम शिकार हो गए 

जितना दिल साफ रखा, उतने गुनहगार हो गए 

कभी-कभी ऐसे लोग अपने मन को समझा लेते हैं कि हम पर कोई कर्ज था जो हमने दूसरों की मदद करके उतार दिया लेकिन वे उस समय टूट जाता है जब उसके कई एफर्ट भुला दिये जाते हैं। उनकी कई अच्छाइयों को नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है और किसी एक गलतफहमी के कारण उन्हें अकेला छोड़ दिया जाता है, तब वे पूरी तरह टूट जाते हैं। फिर, अकेले बैठकर जब वे सोचते हैं, तो दर्द शब्दों में ढलकर भी कंठ में ही सिमट जाता है। तब मन की पीड़ा आंखों के रास्ते बाहर छलक उठती है।

जो लोग मन के साफ हैं और हर व्यक्ति के बारे में सोचते हैं, कभी-कभी वे खुद ही नहीं जान पाते कि उनके भीतर क्या चल रहा है। ऐसा नहीं कि उनके आसपास लोग नहीं होते, लेकिन लोगों की भीड़ में भी वे खुद को तन्हा पाते हैं। कई बार तो वे इस बात से भी उदास हो जाते हैं कि उन्हें पता ही नहीं कि उदास क्यों हैं।

संवाद की शक्ति

अगर आपको ज़िंदगी में किसी से कोई शिकायत है, तो संवाद कीजिए। आपस में बात कीजिए, चीज़ों को स्पष्ट कीजिए। दुनिया की हर समस्या संवाद से हल हो सकती है। कई बार हम असुविधाजनक बातचीत (uncomfortable communication) से बचने के लिए स्थायी असुविधा (permanent discomfort) में चले जाते हैं।

खुद को संभालिए

अगर आप भी दूसरों के दर्द में खड़े रहने वाले व्यक्ति हैं, तो खुद को संभालिए। अगर कोई आपके साथ नहीं भी है, तो याद रखिए आपके अच्छे कर्म आपके साथ हैं। भले ही वह इंसान जिसके लिए आपने यह किया है, वह आपको उसका प्रतिफल न दे रहा हो, लेकिन इस सृष्टि की बैंक में आपके कर्मों की एंट्री हो रही है। और अगर आपने पवित्रता, स्नेह और ममता बांटी है, तो वह आपको वापस ज़रूर मिलेगी।

अपनों को महत्व दें

अगर आपके जीवन में ऐसा कोई व्यक्ति है जो आपके हर कठिन समय में आपके साथ रहा है, आपकी बातों को सुनता है, जो आपको अच्छा महसूस कराता है, जो आपको महत्वपूर्ण (valued) महसूस कराता है। अगर किसी की वजह से आपने जीवन में खुशी महसूस की है, तो उसे हल्के में लेने की बजाय उसे अहसास कराएं कि वह आपके जीवन में कितना ज़रूरी है। आप उन्हें बताएं, बार-बार बताएं, क्योंकि वे यह जानने की उम्मीद भी रखते हैं और उनका यह अधिकार भी है। उन्हें यह पता होना चाहिए कि उनकी वजह से आपकी जिंदगी में कितनी पॉजिटिविटी है।

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