यह सिर्फ धागा नहीं, जीवन भर का सबसे मजबूत सहारा है

लाइफ का बैकअप है स्नेह का यह बंधन “मेरा स्नेह और मेरी दुआएं सदा तेरे संग रहें, मैं तेरी खुशियों को अपनी हर सांस से सजाता रहूँ।” यादों की किताब का सबसे खूबसूरत पन्ना वही होता है, जिसमें भाई-बहन की तस्वीर हो। उसमें शरारतें भी होती हैं और एक-दूसरे की ढाल बनने का वादा भी। माँ अगर हमारी पहली गुरु है, तो भाई-बहन हमारे पहले और सबसे सच्चे दोस्त हैं। वो बहन, जो पापा की डांट से पहले भाई को बचा ले, और भाई, जो बहन की हर उलझन बिना कहे सुलझा दे। जब बहन मुस्कुराती है, तो भाई का दिन रोशन हो जाता है; और जब बहन की आँख में आँसू आता है, तो भाई दुनिया से लड़कर भी उसे हँसाने की वजह ढूंढ लाता है। स्नेह के इन धागों से बुना यह रिश्ता हमारी ज़िंदगी का अटूट विश्वास है, हर मुश्किल में चुपचाप साथ खड़ा रहने वाला सहारा। जरूरी है कि हम एक-दूसरे की खुशियों पर दिल खोलकर झूमें और ग़म का साया पड़ते ही सबसे पहले गले लगाने पहुंचें। तभी यह बंधन स्नेह, विश्वास और सुरक्षा का सच्चा प्रतीक बनता है। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हमारे पास आलीशान मकान, अच्छी सैलरी और हजारों सोशल मीडिया फॉलोअर्स हो सकते हैं, लेकिन जब दिल भारी...